नारी डेस्कः सर्दी के मौसम में जोड़ दर्द व हड्डियों से जुड़ी परेशानियां ज्यादा देखने को मिलती है। जो लोग गठिया के मरीज है उनकी दिक्कतें भी बढ़ जाती है, ऐसा उम्रदराज लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है। अगर सही केयर ना की जाए गठिए की दिक्कत काफी दर्दनाक भी हो जाती है।
गठिया होने के लक्षण| Gathiye Ke Lakshan | Gout Symptoms
गठिया के शुरुआत में हड्डियों में रेडनेस और सूजन नजर आ सकती है। हड्डियों में दर्द और खिंचाव महसूस हो सकता है और जोड़ मूवमेंट्स में दिककत हो सकती है। चलिए इसके बारे में विस्तार से बताते हैं।
जोड़ों में दर्द (Joint Pain): गठिया के सबसे सामान्य लक्षणों में से एक जोड़ों में लगातार या रुक-रुक कर दर्द होना है। यह दर्द सुबह के समय या लंबे समय तक आराम करने के बाद अधिक महसूस होता है।
जोड़ों में सूजन (Swelling): प्रभावित जोड़ों में सूजन आ सकती है, जिससे वे लाल या गर्म महसूस हो सकते हैं।
जोड़ों की जकड़न (Stiffness): खासकर सुबह के समय या लंबे समय तक बैठे रहने के बाद जोड़ों में अकड़न महसूस होती है।
एक्टिविटी कम होना (Reduced Mobility): जोड़ों में दर्द और सूजन के कारण हिलने-डुलने में कठिनाई होती है। कुछ मामलों में, जोड़ों का आकार भी बदल सकता है।
थकान (Fatigue):गठिया के कारण शरीर में कमजोरी और थकान महसूस हो सकती है। यह लक्षण विशेष रूप से रुमेटॉइड आर्थराइटिस में देखा जाता है।
गठानें बनना (Joint Deformities):लंबे समय तक गठिया रहने से जोड़ों का आकार बदल सकता है या उनमें असामान्य गठानें बन सकती हैं।
गर्माहट या लालिमा (Warmth or Redness): प्रभावित जोड़ों में गर्माहट और लालिमा महसूस हो सकती है, जो सूजन का संकेत है।
चलने या काम करने में दिक्कत (Difficulty in Movement): रोजमर्रा के काम जैसे चलना, उठना-बैठना, या किसी चीज़ को पकड़ने में परेशानी हो सकती है।
तेज बुखार और वजन कम होना (Fever and Weight Loss): रुमेटॉइड आर्थराइटिस में बुखार और वजन कम होने जैसे लक्षण भी दिखाई दे सकते हैं।
गठिया किसकी कमी से होता है? Gathiya Kyon Hota hai
बहुत से लोग ये सवाल करते हैं कि गठिया रोग किसकी कमी से होता है। ये बीमारी विटामिन सी, विटामिन डी और कैल्शियम की कमी से ज्यादा परेशान कर सकती है क्योंकि जब शरीर में कैल्शियम विटामिन सी और डी कम होता है तो हड्डियां कमजोर होने लगती है और अंदर से खोखली होने लगती हैं। इसके अलावा ज्वाइंट्स के बीच घर्षण बढ़ने लगता है। उम्र के साथ घुटनों, कोहनी आदि हड्डी के जोड़ों की मूवमेंट कम होने लगती है और इंफ्लामेशन बढ़ने लगती है जिसकी वजह से सूजन, दर्द, अकड़न जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इसी के साथ गठिया की बीमारी के पीछे का सबसे बड़ा कारण इम्यून सिस्टम का आपके शरीर के खिलाफ होना भी माना जाता है। इस बीमारी में कई बार अपना ही इम्यून सिस्टम, हड्डियों का नुकसान करने लगता है। गठिया होने के और भी बहुत से कारण हो सकते हैं।
खराब मेटाबॉलिज्म भी बन सकता गठिए का कारण
अगर आप मेटाबोलिज्म के लिहाज से समझें तो गठिया की शुरुआत इससे हो सकती है क्योंकि शरीर में अगर मेटाबोलिक गतिविधियां लंबे समय तक प्रभावित रहती हैं तो आगे चलकर गठिया और बाकी कई प्रॉब्लम्स हो सकती है।
मोटापा-डायबिटीज जैसी बीमारियां भी इस स्थिति का कारण बन सकती है ये बीमारियां हड्डियों के मूवमेंट्स के साथ इसके घनत्व को भी प्रभावित करती है और स्थिति को और खराब करने लगती है। ऐसे में ये आपको गठिया की ओर ले जा सकती है।
गठिया कितनी तरह का होता है? Gathiya rog kya hota hai
गठिया भी तीन तरह का होता है। ऑस्टियोआर्थराइटिस, रुमेटॉइड आर्थराइटिस और गाउट।
ऑस्टियोआर्थराइटिस (Osteoarthritis): जोड़ों की सामान्य घिसावट।
रुमेटॉइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis): यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है।
गाउट (Gout): यूरिक एसिड के बढ़ने के कारण होता है।
गठिया इलाज योग्य है या नहीं?
गठिया का कोई इलाज नहीं है लेकिन दर्द और सूजन को कंट्रोल में रखा जा सकता है। डाक्टरी सलाह से अपना शैड्यूल बनाए और डाक्टरी सलाह से ही डाइट, दवा व थैरेपी लें।
गठिया मरीज क्या खाएं? Gathiya Marij kya Khaye
गठिया मरीज सेब, अनार, अदरक-हल्दी, लहसुन और मशरूम का सेवन जरूर करें। इन मरीजों के लिए स्ट्रॉबेरी, क्रैनबेरी, ब्लैकबेरी भी अच्छी मानी जाती है।
हर तरह की बेरीज में विटामिन सी और अन्य एटीऑक्सीडेंट्स की भरमार होती है। आर्थराइटिस फाउंडेशन के मुताबिक, इनमें गठिया से लड़ने वाले गुण होते हैं। जिसे खाकर मरीजों को दर्द से राहत मिल सकती है।
क्या खाएं: ताजे फल, हरी सब्जियां, अदरक, लहसुन। ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ (जैसे अलसी और अखरोट)।
क्या न खाएं: तले हुए और मसालेदार भोजन, अत्यधिक नमक, और ठंडी चीज़ें।
रोज़ाना हल्का व्यायाम करें और तनाव से बचें।
गठिया रोग में कौन सी दाल खानी चाहिए?
गठिया मरीज कोसेम, मटर और मसूर की दाल खानी चाहिए। यह प्रोटीन, फाइबर, विटामिन और खनिजों से भरपूर होती हैं और वसा भी कम होती है। ज्यादा जानकारी चिकित्सक से लें।
गठिया के रोग में कौन सा दाल नहीं खाना चाहिए?
यूरिक एसिड के मरीजों को कुछ दालें जैसे दाल, राजमाह, और चना खाने से बचना चाहिए। पेशाब की मात्रा अधिक होने से दर्द और सूजन की समस्या बढ़ सकती है हालांकि मूंग दाल से यूरिक एसिड के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है, वहीं हल्की होने के साथ-साथ यह पचने में भी आसान होती है। फिर भी ज्यादा जानकारी डाक्टर से लें।
गठिया को जड़ से खत्म करने के लिए क्या करना चाहिए?
आयुर्वेदिक तौर पर देखें तो गठिया को जड़ से खत्म करने के लिए अश्वगंधा का सेवन फायदेमंद माना जाता है। इसी के साथ ज्यादा ठंडी जगह पर जाने से भी परहेज करें। आयुर्वेद का कोई भी इलाज बिना चिकित्सक के ना आजमाएं।
गठिया से बचने के लिए 5 सब्जियां कौन सी हैं?
ब्रोकोली, पालक, ब्रसेल्स स्प्राउट्स जैसी हरी, पत्तेदार सब्जियाँ विटामिन ए, सी और के जैसे एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर होती हैं जो कोशिकाओं को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाती हैं। इसलिए इनका सेवन करें।
कौन सी जड़ी बूटी गठिया से छुटकारा दिलाती है? Gathiye Ka desi Ilaj
आयुर्वेद की मानें तो गुग्गुल एक बेहद शक्तिशाली जड़ी-बूटी है। आयुर्वेद में इसका इस्तेमाल शरीर की कई समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने में मदद कर सकते हैं। इसका सेवन करने से आपका गठिया जल्दी ठीक हो सकता है हालांकि कोई भी देसी उपचार आजमाने से पहले चिकित्सक सलाह जरूरी है।
गठिया का देसी और आयुर्वेदिक उपचार लंबे समय से भारत में प्रचलित है। यह प्राकृतिक जड़ी-बूटियों और घरेलू उपायों के माध्यम से किया जा सकता है। नीचे कुछ प्रभावी आयुर्वेदिक और घरेलू उपाय दिए गए हैं:
हल्दी और अदरक का सेवन: हल्दी में कर्क्यूमिन नामक तत्व होता है, जो सूजन कम करता है। अदरक गठिया के दर्द और सूजन को कम करने में मददगार है।
उपयोग का तरीका: एक गिलास गर्म दूध में आधा चम्मच हल्दी पाउडर मिलाकर रोज़ पिएं। अदरक की चाय का सेवन करें या इसे कच्चा खाएं।
मेथी के दाने: मेथी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो जोड़ों की सूजन और दर्द को कम करते हैं।
उपयोग का तरीका: एक चम्मच मेथी दानों को रातभर पानी में भिगोकर सुबह खाली पेट खाएं। मेथी पाउडर को हल्के गर्म पानी के साथ लिया जा सकता है।
अजवाइन (Carom Seeds): अजवाइन में सूजन कम करने वाले गुण होते हैं और यह प्राकृतिक दर्द निवारक है।
उपयोग का तरीका: एक चम्मच अजवाइन को गर्म पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और दिन में दो बार पिएं। अजवाइन का पेस्ट बनाकर जोड़ों पर लगाएं।
एरंड का तेल (Castor Oil): एरंड का तेल आयुर्वेद में गठिया के दर्द के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है।
उपयोग का तरीका: रोजाना रात में एक चम्मच एरंड का तेल गुनगुने पानी के साथ लें। इसे हल्का गर्म करके जोड़ों पर मालिश करें।
सोंठ (Dry Ginger) और शहद: सोंठ शरीर में सूजन को कम करने और दर्द से राहत दिलाने में कारगर है।
उपयोग का तरीका: आधा चम्मच सोंठ पाउडर और एक चम्मच शहद को मिलाकर रोज सुबह खाली पेट खाएं।
गिलोय (Tinospora Cordifolia): गिलोय एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी-बूटी है जो शरीर में सूजन और दर्द को कम करती है।
उपयोग का तरीका: गिलोय का रस या काढ़ा बनाकर सुबह खाली पेट पिएं। गिलोय पाउडर को गर्म पानी में मिलाकर लें।
नमक और सरसों के तेल की मालिश:सरसों के तेल में हल्का गर्म नमक मिलाकर जोड़ों पर मालिश करें। यह दर्द और सूजन कम करता है।
तुलसी और नीम का उपयोग: तुलसी और नीम एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से भरपूर होते हैं।
उपयोग का तरीका: तुलसी और नीम की पत्तियों का रस निकालकर दिन में एक बार सेवन करें।
योग और प्राणायाम:आयुर्वेद में योग को शरीर के संतुलन और जोड़ों की ताकत बढ़ाने के लिए आवश्यक माना गया है।
आसन: वज्रासन, ताड़ासन, भुजंगासन। प्राणायाम और ध्यान से भी राहत मिलती है।
आयुर्वेदिक दवाएं
संधान गुटिका: गठिया के दर्द और सूजन के लिए आयुर्वेदिक दवा।
महायोगराज गुग्गुल: जोड़ों की ताकत बढ़ाने और सूजन कम करने के लिए।
इन दवाओं का उपयोग डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।
यदि लक्षण गंभीर हों या लंबे समय तक बने रहें तो आयुर्वेदिक उपचार के साथ डॉक्टर से परामर्श जरूर करें।