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नवरात्रि में मां दुर्गा को गलती से भी न चढ़ाएं ये फल, नहीं तो जीवन में आ सकते हैं संकट

  • Edited By Monika,
  • Updated: 21 Sep, 2025 07:01 PM
नवरात्रि में मां दुर्गा को गलती से भी न चढ़ाएं ये फल, नहीं तो जीवन में आ सकते हैं संकट

नारी डेस्क : नवरात्रि के पावन पर्व पर माता दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए भक्त भोग में विभिन्न फल अर्पित करते हैं। ऐसा करने से माता की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। लेकिन कुछ फल ऐसे भी होते हैं जिन्हें माता को कभी नहीं चढ़ाना चाहिए। हमेशा वही फल अर्पित करें जो माता को प्रिय हैं। सही फल अर्पित करने से न केवल पूजा पूर्ण होती है, बल्कि भक्तों की सभी मनोकामनाएं माता रानी की कृपा से पूरी होती हैं।

नवरात्रि में माता को कौन से फल पसंद हैं

नवरात्रि के दौरान भक्त माता को सेब, अनार, केला, नारियल, बेल, आम, अंगूर, शरीफा, सिंघाड़ा आदि फल अर्पित करते हैं। ये फल माता को बहुत प्रिय माने जाते हैं और इन्हें भोग में चढ़ाने से देवी की कृपा मिलती है।

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देवी को नहीं चढ़ाने वाले फल

कुछ फल ऐसे हैं जिन्हें नवरात्रि में माता को अर्पित नहीं करना चाहिए, क्योंकि ये तामसिक या खट्टे माने जाते हैं। अगर इन्हें चढ़ाया जाए तो माना जाता है कि देवी नाराज हो सकती हैं और जीवन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

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अंजीर: नवरात्रि में अंजीर कभी नहीं अर्पित करना चाहिए। इसे तामसिक फल माना गया है।

नींबू: नींबू का उपयोग तांत्रिक पूजा में होता है, इसलिए माता की सात्विक पूजा में इसे नहीं चढ़ाया जाता।

करौंदा: अत्यधिक खट्टा होने के कारण इसे माता को अर्पित नहीं करना चाहिए।

इमली: खट्टा होने के कारण इसे भी देवी को नहीं अर्पित किया जाता।

सूखा नारियल: पानी वाला नारियल शुभ माना जाता है, लेकिन सूखा नारियल माता को नहीं चढ़ाया जाता।

बासी और कटे हुए फल: देवी को हमेशा ताजे फल ही चढ़ाने चाहिए।

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नवरात्रि में भोग और भोजन के नियम

नवरात्रि में माता के नौ रूपों की पूजा के साथ भोग लगाया जाता है।

व्रत रखने वालों को सात्विक भोजन करना चाहिए।

घर का भोजन प्याज, लहसुन या मांस-मदिरा से रहित होना चाहिए।

व्रत ना रखने वालों के लिए भी सात्विक भोजन करना शुभ है।

रात्रि का भोजन माता को भोग लगाने के बाद ही करना चाहिए।

नवरात्रि के नौ दिनों में माता के नौ अलग-अलग रूपों के लिए भिन्न भिन्न भोग लगाए जाने चाहिए।

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नवरात्रि में माता की पूजा और भोग का सही नियम मानना बहुत महत्वपूर्ण है। सही फल और सात्विक भोजन से माता की कृपा प्राप्त होती है और जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

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