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भोपाल की बेगम थी Saif की दादी, ससुराल लाने के लिए 'पटौदी नवाब' को बनवानी पड़ी थी सफेद कोठी

  • Edited By Vandana,
  • Updated: 14 Dec, 2023 01:21 PM
भोपाल की बेगम थी Saif की दादी, ससुराल लाने के लिए 'पटौदी नवाब' को बनवानी पड़ी थी सफेद कोठी

पटौदी खानदान से ताल्लुक रखने वाले नवाब सैफ़ अली खान बॉलीवुड के नामी सितारे हैं हालाँकि सैफ का कहना हैं कि नवाब तो सिर्फ टैग है। वैसे सैफ से ज़्यादा उनके पेरेंट्स और ग्रेंड पेरेंट्स का रुतबा रहा है। पेरेंट्स की तरह सैफ के दादा-दादी का रुतबा भी कोई कम नहीं था। उनके दादा पटौदी रियासत के 8वें नवाब इफ्तिखार अली खान और दादी भोपाल की बेगम साजिदा सुल्तान थी। लेकिन आज के पैकेज में आपको सैफ की दादी के बारे में बताते है कि वो कौन थी और बड़ी बहन के होते भोपाल की बेगम कैसे बन गई। 

हमीदुल्लाह की दूसरी बेटी को बनाया था भोपाल की बेगम

साजिदा सुल्तान, भोपाल रियासत के आखिरी नवाब हमीदुल्लाह की दूसरे नंबर की बेटी थी। उनकी बड़ी बेटी का नाम आबिदा सुल्तान और सबसे छोटी बेटी का नाम राबिया सुल्तान था। नवाब की तीन बेटियां ही थी इसलिए उन्हीं तीन में से एक को भोपाल की बेगम बनना था। जहां कायदे से नवाब हमीदुल्लाह की बड़ी बेटी को भोपाल की बेगम बनना था, वहीं  हमीदुल्लाह की दूसरी बेटी यानि सैफ की दादी को भोपाल की बेगम बनाया गया। इसके पीछे भी एक कारण था।

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दरअसल, शादी के बाद आबिदा सुल्तान, पाकिस्तान जा कर बस गई थी। आबिदा की शादी 18 जून 1926 को कुरवाई के नवाब सरवर अली खान से हुई थी। साल 1949 में उन्होंने भारत छोड़ दिया और वह पाकिस्तान चली गई। उन्होंने अपना आशियाना कराची में बनाया और सन 1954 में संयुक्त राष्ट्र में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया। जब साल 1954 में पिता हमीदुल्लाह ने उन्हें भोपाल वापस लौटने कहा तो उन्होंने मना कर दिया था क्योंकि वह वही रहना चाहती थी। इसके बाद उनकी छोटी बहन साजिदा सुल्तान को शासक नियुक्त कर दिया गया। 

इफ्तियार अली खान संग की थी लव मैरिज 

 4 अगस्त 1915 में जन्मी साजिदा सुल्तान ने 23 अप्रैल 1939 को पटौदी के 8वें नवाब नवाब इफ्तिखार अली खान से शादी की। इस निकाह से उन्हें तीन बेटियाँ थीं- सालेहा, सबिहा और कुदसिया  और एक बेटा, क्रिकेटर मंसूर अली खान पटौदी हुए। भोपाल के नवाब की बेटी साजिदा सुल्तान ने इफ्तिखार अली खान से लव मैरिज की थी लेकिन शादी के बाद साजिदा सुल्तान ने पटौदी गांव आने से इंकार कर दिया था क्योंकि यहां उनकी पसंद का महल नहीं था और बेगम को ससुराल लाने के लिए इफ्तिखार अली खान ने सफेद कोठी का निर्माण कराया गया था और वह सफ़ेद कोठी उनके प्यार की निशानी बना। अब इसे पटौदी पैलेस कहते है और पहले  इब्राहिम पैलेस के नाम से जाना जाता था। इस पैलेस का नक्शा ब्रिटिश वास्तुकार रोबर्ट टोर रसेल ने डिजाइन किया था।

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ऐसे शुरु हुई थी इफ्तिखार अली खान के साथ लवस्टोरी 

इफ्तिखार अली खान क्रिकेटर थे और उनके खेल से ही साजिदा उनसे बेहद प्रभावित हुई थी। हालांकि उनके पिता हमीदुल्ला इस शादी के खिलाफ थे। दरअसल पटौदी तब केवल 52 गांवों की रियासत थी, जबकि भोपाल बड़ी रियासत थी। साजिदा के पिता हमीदुल्ला धनाढ्य थे लेकिन बेटी के प्यार के आगे उन्हें झुकना पड़ा हालांकि हमीदुल्ला कभी पटौदी नहीं आए थे।

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 1952 में इफ्तिखार के निधन के बाद हमीदुल्ला पहली बार पटौदी आए थे जिसका उन्होंने बहुत अफसोस भी जताया। नवाब इफ्तिखार अली खान का पोलो खेलते हुए हृदय गति रुकने से देहांत हो गया था तब भोपाल नवाब, उनकी मैयत में शिरकत करने पटौदी आए।  इफ्तिखार अली खान के बाद उनके बेटे मंसूर अली खान यानी सैफ के पिता ने छोटी उम्र में ही गद्दी सम्भाली । वह नवाब तो बने लेकिन उन्होंने बहुत से उतार-चढ़ाव भी देखे। 

पटौदी परिवार

लोग आज भी बताते हैं कि वहां देश-विदेश की अनेक नामचीन हस्तियों को और पूरे पटौदी क्षेत्र को उमड़ा देखकर तब हमीदुल्ला ने कहा था कि ‘जिसे वे जिंदगी भर अपने से छोटा समझते रहे, पता नहीं था कि उनका साम्राज्य देश विदेश में फैला हुआ है और वे लोगों के दिलों में इतनी जगह बनाए हुए हैं।

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