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गणेश चतुर्थी: बप्पा ने वाहन में क्यों चुना मूषक? जानिए इससे जुड़ी कथा

  • Edited By neetu,
  • Updated: 12 Sep, 2021 11:21 AM
गणेश चतुर्थी: बप्पा ने वाहन में क्यों चुना मूषक? जानिए इससे जुड़ी कथा

आज भारत में हर जगह गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़े जोरों- शोरों से मनाया जा रहा है। इन दिन बहुत से लोग गणपति देवा की प्रतिमा को घर में स्थापित कर उनकी पूजा व अर्चना करते हैं। बप्पा की कृपा पाने के लिए अलग- अलग चीजों को बनाकर भोगस्वरूप चढ़ाते हैं। गणेश जी की ज्ञान के देवता और विघ्नहर्ता कहा जाता है। तो चलिए आज गणेश जन्मोत्सव के शुभ अवसर पर हम आपको भगवान गणेश से जुड़ी कुछ अलग और खास बातों के बारे में बताते हैं...

दूर्वा से होती है पूजा

सभी देवी- देवताओं में सिर्फ भगवान गणेश जी ही ऐसे देव है , जिनकी पूजा में दूर्वा का इस्तेमाल किया जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक समय अगलासुर नाम का एक राक्षस था। वह ऋषि- मुनियों की तपस्या भंग कर उन्हें जिंदा ही निकल लेता था। ऐसे में उसने सभी जगह पर अपना तहलका मचा रखा था। राक्षस से परेशान होकर सभी एक दिन गणपति देवा की शरण में पहुंचे। कहा जाता है कि गणपति बप्पा ने उस राक्षस को मारने के लिए उसे खा लिया था। ऐसे में उसे निकल लेने से उनके पेट में तेज जलन होने लगी। तब उनकी जलन को शांत करने के लिए ऋषि कश्यप ने उन्हें दूर्वा अर्पित की। उस दूर्वा को खाकर उसके पेट की जलन शांत हुई और तब से ही गणपति बप्पा को दूर्वा चढ़ाने की प्रथा चल पड़ी। 

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लिखने की अद्भुत कला

भगवान श्रीगणेश को ज्ञान के देवता माना जाता है। ऐसे में इनमें लिखने की विशेष कला थी। इसी कारण जब महाभारत की कथा लिखने के लिए ऋषि वेदव्यास जी को ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो बिना रुके ही महाभारत की गाथा एक बार में ही पूरा लिख सके। उस समय इस काम को करने के लिए भगवान गणेश जी सामने आए थे।

गणपति जी का वाहन मूषक 

गणपति ने मूषक को अपना वाहन चुना। मगर इसके पीछे भी एक कथा जुड़ी है। कथा के अनुसार, एक भयंकर राक्षस था, जो ऋषि- मुनियों की कुटिया में घुस कर उन्हे परेशान करता था। उनको यज्ञ पूरा करने से रोकता था। ऐसे में ऋषि- मुनियों द्वारा गणेश जी का आवाहन करने से बप्पा ने उसको काबू कर दंड दिया। मगर चूहे द्वारा प्रार्थना करने पर गणपति देवा ने उसे अपने वाहन के रूप में चुना। 

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गृहस्थ जीवन सुखमय बनाते हैं गणेश जी

गणपति बप्पा को गृहस्थ जीवन के लिए आदर्श देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसे में अपने वैवाहिक जीवन को सुथमय और खुशहाली भरा बनाएं रखने के लिए रोजाना पूजा घर में दीप जलाकर दोनों पति- पत्नि को गणपति देव जी की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से मैरिड लाइफ अच्छी होने के साथ जीवन की सभी परेशानियों का अंत होता है। 

लाल और सिंदूरी रंग अतिप्रिय

गणेश जी को लाल और सिंदूरी रंग अतिप्रिय होने से उन्हें इसी रंग के फूल चढ़ाने से वे खुश होते हैं। साथ ही अपने भक्तों के दुख- दर्द को दूर कर देते हैं। इसके साथ ही गणपति जी को पूर्व दिशा प्रिय है। ऐसे में घर पर इनकी मूर्ति स्थापना करने के लिए पूर्व दिशा ही उचित मानी जाती है। 

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गणेश जी की पीठ को न देखना

मान्यताओं के अनुसार, गणेश जी के दर्शन करने के लिए उन्हें हमेशा सामने से ही देखना चाहिए। उनकी पीठ को देखना अशुभ माना जाता है। कहा जाता है कि गणेश जी की पीठ देखने के घर और जीवन में दरिद्रता का वास होता है। ऐसे में पूजा घर पर भगवान गणेश की मूर्ति स्थापति करते समय भी इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि इनकी पीठ दीवार के साथ लगी हो।

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