दीपमाला का त्योहार दिवाली का हर किसी को इंतजार रहता है। इस दिन लोग अपने घरों को दीयों से सजाते हैं। चारों तरफ दीये की रोशनी फैलने से पूरा घर जगमगा उठता है। पहले समय में तो मिट्टी से तैयार दीये मिलते थे। आज कल बाजारों में अलग- अलग डिजाइन के दीये देखने को मिलते हैं। मगर, आस्था के साथ बने मिट्टी और गोबर के दीये का एक अलग ही महत्व है। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले की केंद्रीय जेल में ऐसा ही एक अद्धभूत कार्य किया जा रहा है।
रोजाना बना रहे सैंकड़ों दीये
इस जेल में सजा काट रहे कैदी दिवाली पर वातावरण को प्रदूषण मुक्त रखने का संदेश दे रहे हैं। इसके साथ ही वे आपके घर रोशनी पहुंचाने का काम भी कर रहे हैं। दरअसल, पिछले करीब एक वर्ष से ये कैदी जेल की गौशाला के गोबर में अनाज और मिट्टी मिलाकर हैंड मशीन के जरिए रोजाना सैंकड़ों दीये बना रहे हैं। पर्यावरण के लिए इस दीये की लौ का संदेश बेहद कीमती है।
गोबर से बने इको फ्रेंडली दीये
गोबर से बने ये मिट्टी के ही दीयों की तरह इको फ्रेंडली हैं। इनसे प्रदूषण को किसी भी करह का नुकसान नहीं पहुंचेगा। इसके साथ ही जेल में बंद कैदी मां लक्ष्मी और भगवान श्री गणेश की इको फ्रेंडली मूर्तियां भी बनाते हैं। कैदियों से ऐसा नेक कार्य करवाने का फैसला जेल सुप्रिडेंट शेफाली तिवारी ने लिया है। जो कि समाज से भटके हुए इन कैदियों का मानसिक स्थिति में बदलाव लाया जा सके और समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारियों का एहसासा दिलाया जा सके।