अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसी बीमारियां मस्तिष्क की कार्यक्षमता को प्रभावित करती हैं, और हाल के शोध बताते हैं कि खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL - Low-Density Lipoprotein) का उच्च स्तर इन न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों का जोखिम बढ़ा सकता है। एक अध्ययन के अनुसार खराब रक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करना न केवल आपके दिल के लिए अच्छा है, बल्कि अल्जाइमर और डिमेंशिया को रोकने के लिए भी महत्वपूर्ण है।

क्या कहती है स्टडी?
न्यूरोलॉजी न्यूरोसर्जरी एंड साइकियाट्री के जर्नल में ऑनलाइन प्रकाशित अध्ययन से पता चला है कि कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन कोलेस्ट्रॉल (एलडीएल-सी), जिसे खराब कोलेस्ट्रॉल भी कहा जाता है, 1.8 एमएमओएल/एल से कम होने पर सभी कारणों से होने वाले डिमेंशिया के जोखिम में 26 प्रतिशत की कमी आती है। इससे अल्जाइमर रोग से संबंधित डिमेंशिया के जोखिम में 28 प्रतिशत की कमी आई, जबकि एलडीएल-सी का स्तर 3.4 मिलीमोल प्रति लीटर (एमएमओएल/एल) से अधिक होने पर ऐसा होता है।
कोलेस्ट्रॉल और मस्तिष्क के बीच क्या है संबंध?
अच्छा कोलेस्ट्रॉल (HDL) मस्तिष्क के लिए फायदेमंद होता है और न्यूरॉन्स की रक्षा करता है। खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) मस्तिष्क की रक्त वाहिकाओं को संकीर्ण कर सकता है, जिससे रक्त संचार बाधित होता है और डिमेंशिया व अल्जाइमर का खतरा बढ़ जाता है। ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर भी मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है।
खराब कोलेस्ट्रॉल (LDL) कम करने के तरीके
ट्रांस फैट और सैचुरेटेड फैट से बचें: पैकेज्ड फूड, तला-भुना खाना, बेकरी प्रोडक्ट्स से परहेज करें।
हेल्दी फैट चुनें: एवोकाडो, नट्स, ऑलिव ऑयल, अलसी के बीज खाएं।
फाइबर बढ़ाएं: ओट्स, ब्राउन राइस, हरी सब्जियां और फल LDL को कम करने में मदद करते हैं।
प्रोटीन के लिए दालें और मछली खाएं: रेड मीट से बचें।
नियमित एक्सरसाइज भी जरूरी
कार्डियो एक्सरसाइज (ब्रिस्क वॉक, जॉगिंग, साइक्लिंग)यह शरीर में अच्छे कोलेस्ट्रॉल (HDL) को बढ़ाने में मदद करता है। डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज मस्तिष्क में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाती है। मोटापा LDL बढ़ाने का एक बड़ा कारण है, इसलिए कैलोरी बैलेंस बनाए रखें और प्रोसेस्ड फूड से बचें। stress से भी LDL बढ़ता है और मस्तिष्क पर बुरा प्रभाव डालता है। रोज 7-8 घंटे की नींद जरूरी है, क्योंकि नींद के दौरान मस्तिष्क खुद को रिपेयर करता है।

किस उम्र में होता है डिमेंशिया का जोखिम?
डिमेंशिया एक न्यूरोलॉजिकल (मस्तिष्क से जुड़ा) विकार है, जो मुख्य रूप से याददाश्त, सोचने-समझने की क्षमता और निर्णय लेने की शक्ति को प्रभावित करता है। यह आमतौर पर बुढ़ापे में होता है, लेकिन कुछ मामलों में कम उम्र में भी हो सकता है।
उम्र डिमेंशिया का जोखिम (%)
60 साल से कम बहुत दुर्लभ (~5%) (Early-onset dementia)
60-69 साल लगभग 1-2%
70-79 साल लगभग 5-10%
80-89 साल लगभग 20-25%
90 साल से अधिक 30-40% या अधिक
60 साल की उम्र के बाद डिमेंशिया का खतरा तेजी से बढ़ने लगता है।90 साल से अधिक उम्र के लोगों में डिमेंशिया होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है। कुछ लोगों को 40-50 साल की उम्र में भी ये बीमारी हो सकती है इसे Early-Onset Dementia कहा जाता है।
डिमेंशिया के शुरुआती लक्षण
-याददाश्त कमजोर होना
- बातचीत में दिक्कत
- निर्णय लेने की क्षमता कमजोर होना
- भूलने की समस्या बढ़ना
- मूड स्विंग और डिप्रेशन