सोशल मीडिया पर नॉर्वे की 'इनरडालेन घाटी' की हैरान कर देने वाली खूबसूरत तस्वीरों के देख रोजाना सैंकड़ों पर्यटक यहां पहुंच रहे हैं। स्थानीय टूरिस्ट गाइड्स की कोशिश है कि पर्यटकों की दिनों-दिन बढ़ती भीड़ के बावजूद घाटी के आकर्षण को बनाए रखा जाए।
नॉर्वे की इनरडालेन घाटी की खूबसूरती को देखते ही पर्यटकों के मुंह से बरबस ही 'अद्भुत' तथा 'अविश्वसनीय' जैसे शब्द फूट पड़ते हैं। इसे नार्वे की सबसे सुंदर घाटी भी कहा जाता है। कहते हैं कि इंगवार नील्सन नामक एक पर्यटक ने सबसे पहले 19 वीं सदी में इनरडालेन का वर्णन 'नॉर्वे की सबसे सुंदर घाटी' के रुप में किया था। नार्वे पर्यटन बोर्ड लंबे समय से इस घाटी का वर्णन खुशी-खुशी उन्हीं शब्दों के साथ कर रहा है। बेशक कुछ लोग इसे सबसे सुंदर घाटी कहे जाने से सहमत न भी हों परंतु यहां कुछ वक्त गुजारने के बाद हर व्यक्ति इस बात से सहमत हो जाता है कि यह स्थान किसी सुंदर 'सीनरी' से किसी मायने में कम नहीं है- एक खूबसूरत घाटी जिसमें बेहद साफ पानी की दो झीलें चारों ओर से हरे-भरे पहाड़ों से घिरी है। झीलों के किनारों पर लकड़ी के कैबिनों की छतें घास से ढंकी हैं, करीब ही झरने बहते हैं और दूर ग्लेशियरों की बर्फ चमकती नजर आती है।
सोशल मीडिया से बढ़ी लोकप्रियता
हाल के सालों में इस घाटी की लोकप्रियता बढ़ाने में इंस्टाग्राम तथा फेसबुक पर ईसकी पोस्ट की गई सुंदर फोटोज का सबसे बड़ा योगदान रहा है। साथ ही नॉर्वेजियन टी.वी. के एक रियल्टी शो से भी यह घाटी लोकप्रिय हुई है जिसमें मशहूर हस्तियां 'इनरडालस्टारनैट' पर्वत पर चढ़ाई करते हैं जो नॉर्वे के मैटरहॉ्रन के नाम से भी प्रसिद्ध है। यह पर्वत घाटी के तल से एक पिरामिड की तरह उठा हुआ है।
एक अन्य गैमेलहाइटा लॉज पहाड़ की ढलान से कुछ मिनट की दूरी पर है। इसके मालिक 68 वर्षीय इवर इनरडाल बताते हैं, कि उनके बचपन में ग्लेशियर झील तक हुआ करते थे। उनके पडदादा ने 1889 में इस लॉज को बनवाया और उनके पिता ने इसके बगल के घर का जीर्णोद्धार कराया था। वह 5 या 6 साल के थे जब पहली बार 'इनरडालस्टारनैट' पर उन्होंने चढ़ाई की थी।तब अधिकतर पर्वतारोही ही घाटी में आया करते थे परंतु आजकल अधिकांश आगंतुक हाइकर हैं तो एक दिन के लिए या सप्ताहांत में यहां आते हैं और उनमें से कई उन चट्टानी ऊंचाइयों पर चढ़ना चाहते हैं जो उन्होंने इंटरनैट पर मौजूद तस्वीरों में देखी होती हैं। पिछले साल एक ही दिन वहां 200 लोग थे। कई लोगों के साथ दुर्घटनाएं भी हो चुकी हैं। यह पर्वत केवल 1,452 मीटर ऊंचा है परंतु इसे कम करके नहीं आंका जाना चाहिए खासकर जब बारिश हो रही हो। यहां का मौसम बहुत बदल जाता है। पर्वत पर चढाई के लिए जंगल तथा दलदली रास्ते से आगे बढ़ना पड़ता है। पहाड़ पर उगे पेड़ों से आगे निकलने के बाद उपर से नीचे स्थित झीलों का नजारा दिखाई देता है। घाटी के साथ ज्यादा छेड़छाड़ न हो इसलिए पर्वतारोहियों के लिए शिखर तक रास्ता दिखाने वाले मार्कर तक नहीं लगाए गए हैं। हालांकि, इस वजह से कई बार पर्यटक रास्ता भटक जाते हैंऔर उन्हें लौटना पड़ता है। जिसका अर्थ है कि व घाटी, झीलों, ग्लेशियरों और पहाड़ों के शानदार चौतरफा नजारे का लुत्फ लेने से महरुम रह जाते हैं। फिर भी पर्वत की चोटी की ओर बढ़ते हुए ऐसे कई स्थान हैं जहां से घाटी से सुंदर नजारों का आनंद लिया जा सकता है।
एक परिवार ने राजा से खरीदी थी घाटी
आइंस्टीन ओपदल के परिवार ने 280 साल पहले युद्ध के बाद दिवालिया राजा से इस घाटी को खरीदा था। 1967 से ही यह एक संरक्षित क्षेत्र रहा है। हालांकि, इसे राष्ट्रीय उद्धान का दर्जा नहीं दिया गया है। यह बात यहां आने वाले पर्यटकों के लिए अच्छी है क्योंकि यहां गाय और भेड़ें अच्छी तरह से चर सकती हैं और पर्यटक स्थानीय व्यंजनों का आनंद भी आराम से ले सकते हैं। 42 वर्षीय आइंसटाइन अपने रेन्डोलसेट्रा माऊंटेन लॉज में व्यस्त दिनों में पर्यटकों को कई तरह के स्थानीय व्यंजन परोसते हैं। वह कहते हैं,' पिछले चार सालों में आगंतुकों की संख्या में 30 प्रतिशत वृद्धि हुई है। लोग चीन, दुबई और अमेरिका से भी यहां आ रहे हैं।'