किसी ने सच ही कहा है कि बच्चों को जन्म देना बहुत आसान है, लेकिन उनकी उचित परवरिश करना बहुत मुश्किल। बच्चों का व्यक्तित्व बहुत कोमल और नाजुक होता है उसे हम जिस दिशा में मोड़ना चाहें वह उसी दिशा में मुड़ जाता है और जिस सांचे में ढालना चाहें वह ढल जाता है। माना कि बहुत से बच्चों की प्रवृत्ति, उनका स्वभाव अलग होता है, उन्हें समझाने और उनको समझने में समय लगता है, लेकिन बच्चे तो हमारे ही है और उनकी अच्छी परवरिश करना और उन्हें अच्छा इंसान बनाना भी तो हमारा ही कर्त्तव्य है। चलिए आज बताते हैं बच्चों की अच्छी परवरिश करने के कुछ खास टिप्स
बच्चे की रुचियों पर दें ध्यान
माता-पिता को अपने बच्चों की रुचियों और व्यवहार का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए, क्योंकि यह ज्ञान ही बच्चों को अनुकूल परिस्थितियां प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। माता-पिता का कर्त्तव्य बनता है कि वह बच्चों के कोमल मन पर कभी किसी प्रकार का आघात न पहुंचने दें। न ही बच्चों पर किसी प्रकार के कार्य और इच्छा का दबाव डालें जिससे कि बच्चों की आकांक्षाएं ही दम तोड़ दें।
प्रोत्साहित करें
माता-पिता को चाहिए वह अपने बच्चों की अच्छी आदतों को प्रोत्साहित करें, उनके अच्छे कार्यों की सबसे प्रशंसा करें। ऐसा करने से वह जीवन में सदैव सच बोलने और नैतिक मूल्यों को बिना किसी भय के स्थापित रखने का प्रयास करेंगे। ज्ञात रहे अपने बच्चों को सच बोलने का पाठ पढ़ाने से पहले आपको स्वयं सच बोलने की आदत डालनी होगी।
अच्छे-बुरे स्पर्श की जानकारी दें
बाल यौनशोषण की बढ़ती हुई घटनाओं को देखते हुए माता-पिता का कर्त्तव्य बनता है कि वह अपने बच्चों को अच्छे और बुरे स्पर्श के बारे में जानकारी दें। साथ ही अपने बच्चों के व्यवहार पर भी विशेष ध्यान दें। बच्चों को शारीरिक शोषण के विषय में स्पष्ट रूप से समझाएं, बच्चों के साथ ऐसा रिश्ता बनाएं कि बच्चे स्वयं ही बिना झिझक के आपसे अपनी खुशियां और समस्याएं शेयर कर सकें।
बच्चों से झूठे वायदे न करें
माता-पिता इस बात का विशेष ध्यान रखें कि वह अपने बच्चों से कभी न झूठ बोलें और न ही उससे झूठे वायदे करें। झूठे वायदे का बच्चे के मस्तिष्क पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है, जिससे बच्चा आपकी बात पर कभी विश्वास नहीं करेगा, इसलिए बच्चे से जो भी वायदा करें, खूब सोच-समझकर करें और उसे पूरा भी करें।
जिज्ञासाओं को शांत करें
माता-पिता का यह कर्त्तव्य भी बनता है कि वह अपने बच्चों के मन में उठी जिज्ञासाओं का सदैव ही उत्तर देकर शांत करें। परिवार में जहां तक हो खुली बातचीत का वातावरण बनाएं ताकि बच्चे अपनी जिज्ञासाओं को शांत करने के लिए इधर-उधर भटककर गुमराह न हों।