नारी डेस्क: किशोरावस्था (टीनएज) बच्चों की जिंदगी का ऐसा समय होता है, जब उनमें बहुत तेजी से शारीरिक, मानसिक और भावनात्मक बदलाव होते हैं। यह उम्र नई चुनौतियों का सामना करने और सही-गलत के बीच फर्क समझने की होती है। ऐसे में बच्चों को सही मार्गदर्शन और परवरिश की जरूरत होती है। अगर माता-पिता इस समय बच्चों के साथ नहीं खड़े होते, तो उनके बिगड़ने का डर बना रहता है।
यहां कुछ बातें दी गई हैं, जो हर माता-पिता को अपने टीनएज बच्चों को सिखानी चाहिए। इससे बच्चे आत्मविश्वासी, जिम्मेदार और समझदार बनेंगे।
आत्मविश्वास का पाठ पढ़ाएं
किशोरावस्था में बच्चों को सबसे पहले आत्मविश्वास सिखाना बहुत जरूरी है। उन्हें यह बताएं कि वे काबिल हैं और अपने दम पर बड़े काम कर सकते हैं। बच्चों को खुद पर भरोसा रखना सिखाएं और यह समझाएं कि किसी और के कहने पर फैसला लेने के बजाय सोच-समझकर निर्णय लें। आत्मविश्वासी बच्चे जिंदगी में हर चुनौती का सामना कर सकते हैं।
जिम्मेदारियां सौंपें
टीनएज में बच्चों को जिम्मेदारियां देना बेहद जरूरी है। उन्हें अपने छोटे-छोटे काम खुद करने की आदत डालें। यह जिम्मेदारियां उनके भविष्य को आकार देने में मदद करेंगी। अगर आप बच्चों को कोई काम नहीं देंगे, तो वे भविष्य में जिम्मेदारी उठाने से कतराएंगे। जैसे छोटे कामों से शुरुआत करें – अपने कमरे की सफाई करना, अपनी किताबें संभालना या कोई घरेलू काम।
सकारात्मक सोच सिखाएं
टीनएज वह उम्र होती है, जब बच्चों के मन में कई बार नकारात्मक विचार आने लगते हैं। माता-पिता का यह कर्तव्य है कि वे बच्चों को सकारात्मक सोचने की शिक्षा दें। उन्हें बताएं कि मेहनत और लगन से हर चीज हासिल की जा सकती है। बच्चों को प्रेरित करें कि वे अपनी असफलताओं से घबराने के बजाय उनसे सीखें और आगे बढ़ें।
सही और गलत में फर्क करना सिखाएं
किशोर उम्र में बच्चे कई बार सही-गलत का फर्क नहीं समझ पाते और गलत फैसले ले लेते हैं। माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को सही और गलत के बीच अंतर करना सिखाएं। उन्हें यह बताएं कि किसी भी काम को करने से पहले उसके परिणामों के बारे में सोचें। यह सीख बच्चों को बेहतर निर्णय लेने में मदद करेगी।
खुलकर बात करना सिखाएं
माता-पिता को अपने बच्चों को यह सिखाना चाहिए कि वे किसी भी समस्या या चिंता के बारे में खुलकर बात करें। कई बार बच्चे अपने दिल की बात कहने से डरते हैं, जिससे माता-पिता और बच्चों के बीच दूरी बढ़ जाती है। अगर बच्चे खुलकर बात करेंगे, तो माता-पिता उनकी भावनाओं को समझ पाएंगे और सही मार्गदर्शन दे पाएंगे।
इन पांच बातों को बच्चों की परवरिश का हिस्सा बनाएं। आत्मविश्वास, जिम्मेदारी, सकारात्मक सोच, सही-गलत का फर्क और खुले दिल से बातचीत करने की आदत बच्चों को एक बेहतर इंसान बनने में मदद करेगी। इन टिप्स को अपनाकर आप अपने बच्चों को न केवल संस्कारी बल्कि जिम्मेदार और आत्मनिर्भर भी बना सकते हैं।