
नारी डेस्क: साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण इसी महीने की 29 तारीख को लगने जा रहा है। यह ग्रहण अमावस्या के दिन लग रहा है और इस दिन शनिवार भी है। शनिवार के दिन पड़ने वाली अमावस्या को शनिचरी अमावस्या कहते हैं। जब शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण एक ही दिन पड़ते हैं, तो इसे खगोलीय दृष्टि से विशेष और धार्मिक रूप से प्रभावशाली माना जाता है। वैसे साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखेगा, लेकिन इस दौरान कुछ विशेष बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
भारत में नजर नहीं आएगा सूर्य ग्रहण
साल 2025 का पहला सूर्य ग्रहण चैत्र अमावस्या के दिन यानि 29 मार्च को भारतीय समय के अनुसार दोपहर 2 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा और शाम को 6 बजकर 16 मिनट पर समाप्त होगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण होगा. जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है और इससे सूर्य पूरी तरह नहीं ढकता, बल्कि कुछ ही हिस्सा अंधकारमय होता है लेकिन यह भारत में नजर नहीं आएगा इसलिए सूतक काल मान्य नहीं होगा।

इन राशियों को रहना होगा सावधान
ज्योतिषियों की मानें तो साल का पहला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा। इसके बावजूद कई राशि के जातकों को ग्रहण के दौरान सावधानी बरतने की जरूरत है। सूर्य ग्रहण के दौरान मेष राशि के जातकों को सावधान रहने की जरूरत है। इस राशि पर सूर्य देव की विशेष कृपा बरसती है बस अपनी वाणी और क्रोध पर कंट्रोल रखें। सिंह राशि के राशि स्वामी सूर्य देव हैं, ऐसे में सिंह राशि के जातकों को ग्रहण के समय महामृत्युंजय मंत्र का जप करना चाहिए। वर्तमान समय में सूर्य देव और राहु दोनों मीन राशि में विराजमान हैं, इन राशियों के जातकों को ग्रहण के दिन सावधानी बरतने की आवश्यकता है।
सूर्य ग्रहण को लेकर ध्यान में रखें ये बात
शनि अमावस्या को शनि दोष शांति के लिए उपयुक्त माना जाता है। सूर्य ग्रहण के कारण सूर्य और चंद्रमा की नकारात्मक ऊर्जा पृथ्वी को प्रभावित करती है। जब ये दोनों घटनाएं एक साथ होती हैं, तो नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव अधिक हो जाता है। इस दिन वास्तु नियमों का पालन** करके नकारात्मक प्रभाव को कम किया जा सकता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगाजल का छिड़काव करें, ताकि नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव खत्म हो जाए। घर के मुख्य द्वार पर लौंग और कपूर जलाकर वातावरण को शुद्ध करें।

शनि अमावस्या पर करें ये उपाय
शनि अमावस्या पर शनि देव की पूजा का विशेष महत्व होता है। घर के पूजा स्थान में सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि मंत्र ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः का जाप करें। दीपक जलाने से घर में शनि दोष का प्रभाव कम होता है। पूजा करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ता है।शनि अमावस्या और सूर्य ग्रहण के दिनदान-पुण्य का विशेष महत्व होता है। इस दिन गरीबों, जरूरतमंदों को काले तिल, काला कपड़ा, सरसों का तेल और कंबल दान करें। घर में कुशा, जल और काले तिल से तर्पण करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
सूर्य और शनि ग्रह को करें शांत
सूर्य ग्रहण के दिन सूर्य मंत्र ॐ घृणि सूर्याय नमः का जाप करें। शनि अमावस्या पर ॐ शं शनैश्चराय नम का जाप करें। इन मंत्रों का जाप करने से सूर्य और शनि दोष शांत होते हैं। ग्रहण समाप्त होने के बाद पीपल के पेड़ पर जल चढ़ाएं और सात बार परिक्रमा करें।
शनि अमावस्या पर पीपल के पेड़ के नीचे दीपक जलाने से पितृ दोष शांत होता है। ग्रहण के बाद घर में गंगाजल या गोमूत्र का छिड़काव जरूर करें। ग्रहण समाप्त होने के बाद स्नान करके भगवान विष्णु और शनि देव की पूजा करें।