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घर में होने चाहिए इतने दरवाजे और खिड़कियां, दु:ख और दुर्भाग्य से बचने के लिए जान लें वास्तु नियम

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 17 Dec, 2024 05:05 PM
घर में होने चाहिए इतने दरवाजे और खिड़कियां, दु:ख और दुर्भाग्य से बचने के लिए जान लें वास्तु नियम

नारी डेस्क:  घर में दरवाजों और खिड़कियों की संख्या और दिशा का सही होना वास्तु शास्त्र में बेहद महत्वपूर्ण है। यह न केवल घर में शांति और समृद्धि लाता है, बल्कि घर के वातावरण को स्वस्थ और सुखद भी बनाता है।  वास्तु शास्त्र में ऐसा माना जाता है कि घर में चारों तरफ घूमने वाली एनर्जी इन्हीं दरवाजों से होकर गुजरती है। यदि किसी प्रकार का वास्तु दोष हो, तो छोटे-छोटे बदलाव और उपाय करके इसे दूर किया जा सकता है।चलिए आपको बताते हैं कि दरवाजे और खिड़कियों से जुड़े किन वास्तु नियमों का आपको ध्यान रखना चाहिए। 

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 दरवाजों की संख्या 

घर में दरवाजों की संख्या हमेशा सम (जैसे 2, 4, 6, 8) होनी चाहिए।   3, 5, 7, 9 जैसी विषम संख्या नहीं होनी चाहिए, क्योंकि इसे वास्तु में अशुभ माना जाता है।  अगर विषम संख्या में दरवाजे हैं, तो फोल्डिंग दरवाजे या एक छोटा दरवाजा लगाकर इसे सम संख्या में बदल सकते हैं।  घर का  मुख्य द्वार सबसे महत्वपूर्ण होता है,  यह बड़ा, मजबूत और आकर्षक होना चाहिए।  इसे उत्तर, पूर्व या उत्तर-पूर्व दिशा में लगाने से सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है। मुख्य दरवाजे के ठीक सामने सीढ़ियां, खंभा, या टॉयलेट का दरवाजा नहीं होना चाहिए।  


 खिड़कियों की संख्या 


खिड़कियों की संख्या भी सम होनी चाहिए। विषम संख्या में खिड़कियां वास्तु दोष उत्पन्न कर सकती हैं।  पूर्व और उत्तर दिशा में  खिड़कियां लगाना शुभ माना जाता है। यह प्राकृतिक प्रकाश और सकारात्मक ऊर्जा को घर में आने देता है।  इन दिशाओं में खिड़कियां छोटी और कम संख्या में होनी चाहिए, क्योंकि ये दिशा गर्मी और नकारात्मक ऊर्जा लाती है।  खिड़कियों का सही स्थान और आकार घर के वेंटिलेशन के लिए महत्वपूर्ण है। इससे ताजी हवा और प्रकाश का प्रवाह बना रहता है।  

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दरवाजों और खिड़कियों के डिजाइन


  लकड़ी, लोहे या स्टील के मजबूत और टिकाऊ दरवाजे चुनें।   खिड़कियों के लिए ग्लास या जालीदार डिज़ाइन उपयुक्त हैं। दरवाजे हमेशा अंदर की ओर खुलने चाहिए, जिससे सकारात्मक ऊर्जा घर के अंदर प्रवेश करे।  दरवाजे के नीचे की चौखट (थ्रेशोल्ड) अनिवार्य होनी चाहिए। वहीं खिड़कियां फर्श से थोड़ी ऊंचाई पर और छत के पास तक होनी चाहिए।  
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 दरवाजे और खिड़कियों से जुड़े वास्तु दोष और समाधान

अगर दो दरवाजे आपस में टकराते हैं, तो यह वास्तु दोष माना जाता है। इसे हटाने के लिए दरवाजों को अलग करने या धीमे क्लोजर का उपयोग करें।खिड़कियां या दरवाजे टूटे हुए या खराब स्थिति में नहीं होने चाहिए। इन्हें तुरंत मरम्मत करवाएं। मुख्य दरवाजे पर स्वस्तिक, ओम, या श्री का चिह्न बनाएं। इससे सकारात्मक ऊर्जा बढ़ती है।  मुख्य दरवाजे के ठीक सामने खिड़की नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह सकारात्मक ऊर्जा को बाहर निकाल देती है। सुबह के समय खिड़कियां और दरवाजे खोलने से घर में ताजी हवा और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। दरवाजे और खिड़कियों को हमेशा साफ और व्यवस्थित रखें।  

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