दुनियाभर में मशहूर चिकन के कपड़े और चिकनकारी कढ़ाई अपनी सादगी और अलग अंदाज के लिए जानी जाती है। लखनऊ, शुरू होने वाली चिकनकारी की डिमांड सिर्फ आम कपड़े ही नहीं बल्कि ब्राइडल वियर्स में भी काफी रहती है। भारत की इस प्रसिद्ध हस्तशिल्प ने राजघरानों से लेकर बॉलीवुड हस्तियों तक को मंत्रमुग्ध कर दिया है।
आज हम आपको लखनऊ की फेमस Chikankari से जुड़ी कुछ ऐसी बातें बताने जा रहे हैं, जो शायद ही किसी को पता हो।
1. माना जाता है कि मुगल सम्राट जहांगीर की पत्नी नूरजहां द्वारा चिनकरी को भारत में लोकप्रिय बनाया गया था। इसे फारसी रईसों द्वारा भारत लाया गया था, जिन्होंने मुगल दरबार का दौरा किया था।
2. चिकनकारी को छाया कार्य के रूप में भी जाना जाता है। यह कपड़े पर सुई के साथ कढ़ाई की एक जटिल और सुरुचिपूर्ण कला है। सुईवर्क के लिए समय और धैर्य की आवश्यकता होती है, जिसके बाद ही कपड़ा आकर्षित दिखाई देता है।
3. इसे फारसी भाषा के शब्द 'चाकिन' से लिया गया है, जिसका अर्थ है कपड़े पर नाजुक पैटर्न बनाना। हालांकि, कुछ ऐसे सिद्धांत हैं जो इस शिल्पकला को बंगाल से जोड़ते हैं, जहां इ शब्द का अर्थ 'ठीक' है। एक और कहानी के मुताबिक, इस शब्द को 'चीकेन' का एक संस्करण कहा जाता है।
4. चिकनकारी कढ़ाई में मूरे, लरची, कीलांगकांग और बाखिया के कई पैटर्न और डिजाइन हैं। यह कढ़ाई का एक विस्तृत रूप है, जो मुगल वास्तुकला के विषयों को डिफाइन करता है।
5. यह हाथ से की जाने वाली नाजुक कढ़ाई है, जिसके लिए शिफॉन, मलमल, रेशम, ऑर्गेना, नेट, कॉटन कपड़े का इस्तेमाल किया जाता है। पहले कपड़ों पर सफेद धागे से कढ़ाई की जाती थी लेकिन बदलते समय के साथ कलर्ड धागों का यूज भी किया जाने लगा।
6. पहले परंपरागत रूप से सफेद मलमल के कपड़े पर कढ़ाई की जाती थी लेकिन अब मलमल और कपास के पेस्टल रंगों के कपड़ों पर कढ़ाई की जाती है। इसे सेक्विन, बीड्स और मिरर वर्क के साथ अट्रैक्टिव बनाया जाता है।
7. फिल्म अंजुमन, 1986 में चिकनकारी कढ़ाई का वर्णन किया गया है। इस फिल्म में लखनऊ की स्थानीय महिलाओं के जीवन पर प्रकाश डाला गया है, जो इस शिल्प पर काम करती हैं।
8. चिकनकारी, कपड़े को डिजाइन करने का एक अनूठा तरीका है। यह एक कठिन प्रक्रिया है जो डिजाइन, उत्कीर्णन, ब्लॉक प्रिंटिंग, कढ़ाई, धुलाई और परिष्करण के प्रोसेस से कंपलीट की जाती है। सबसे पहले, कपड़े को काटा जाता है और फिर इसे ब्लॉक प्रिंटिंग द्वारा मोडिफाई किया जाता है, जिस पर कढ़ाई की जाती है। इसके बाद कपड़े को फिर कई बार धोया जाता है और आखिर में इस्तेमाल के लिए तैयार किया जाता है।