सही पीरियड साइकिल, कंसीव करने के लिए औरतों के शरीर में एस्ट्रोजन हार्मोन का होना बहुत जरूरी है। इसकी कमी के वजह से महिलाओं को कई समस्याओं को सामना करना है। मेडिकल भाषा में इस स्थिति को हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म भी कहा जाता है जो आमतौर पर पुरूषों में भी होता है लेकिन महिलाओं में इसकी मात्रा जरूरत के हिसाब से ज्यादा होती है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है हाइपोएस्ट्रोजेनिज्म या एस्ट्रोजन की कमी और कैसे करें इसकी कमी को पूरा...
महिलाओं के लिए क्यों जरूरी एस्ट्रोजन हार्मोन?
एस्ट्रोजन हार्मोन महिला शरीर के विकास और देखरेख में मदद करता है। एस्ट्रोजन हार्मोन...
-बोन हेल्थ, कोलेस्ट्रॉल, मेटाबॉलिज्म को कंट्रोल
-टीनएज और प्रेग्नेंट महिलाओं में ब्रेस्ट का विकास
-प्यूबर्टी में पहुंचने वाली लड़कियों का सेक्शुअल विकास
-मोटापा, भोजन करना, इंसुलिन सेंसिटिविटी, ग्लूकोज मेटाबॉलिज्म कंट्रोल।
-पीरियड्स साइकिल और प्रेगनेंसी में यूट्रेन लाइनिंग को कंट्रोल करने में मदद करता है।
एस्ट्रोजन की कमी के कारण
किसी समस्या के कारण ओवरी में बनने वाले एस्ट्रोजन हार्मोन के प्रोडक्शन में कमी आ सकती है, जिसका कारण
- क्रॉनिक किडनी डिजीज या थाइराइड
- टर्नर सिंड्रोम या ईटिंग डिसऑर्डर्स
-असामान्य रूप से काम करने वाली पिट्यूटरी ग्लैंड
- बहुत ज्यादा एक्सरसाइज या डाइटिंग
- ओवेरियन सिस्ट्स या समय से पहले ओवेरियन फेलियर
- हार्मोनल समस्याओं की फैमिली हिस्ट्री
- ऑटोइम्यून मेडिकल कंडीशन्स हो सकता है
- इसके अलावा 40 की उम्र के बाद भी महिलाओं में इसकी कमी होने लगती है, जो प्रीमेनोपॉज का एक लक्षण है।
शरीर में एस्ट्रोजन की कमी के लक्षण
. वेजाइनल लुब्रिकेशन के कारण संबंध बनाने में दर्द
. हॉट फ्लैशेस या मूड स्विंग्स
. सिरदर्द, डिप्रेशन और थकान
. किसी काम में मन ना लगना
. ब्रेस्ट में ढीलापन या नर्म होना
. पीरिड्स अनियमित या ना होना
. यूरेथ्रा के पतला होना और यूटीआई इंफैक्शन
. बोन डेंसिटी में कमी
. अचानक वजन बढ़ना
. नींद ना आना और बैचेनी
अगर सही समय पर इलाज न किया जाए तो एस्ट्रोजन की कमी महिलाओं में इनफर्टिलिटी का कारण भी बन सकती है।
कंसीव करने में आ सकती है दिक्कत
क्योंकि यह हार्मोन मुख्य रूप से ओवरी में बनता है इसलिए इसकी कमी से ओव्यूलेशन में गड़बड़ी हो सकती है। वहीं इसके कारण पीरियड्स भी अनियमित हो जाते हैं, जिससे कंसीव करने के चांसेज कम हो जाते हैं। इसके अलावा शोध के मुताबिक, एस्ट्रोजन की कमी से ब्रैस्ट कैंसर का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।
समय से पहले दिख सकती हैं बूढ़ी
सिर्फ पीरियड्स और प्रेगनेंसी ही नहीं, इसकी कमी का असर चेहरे पर भी दिखना शुरू हो जाती है। शरीर में इस हार्मोन का स्तर कम होने पर मुहांसे, झुर्रिया, त्वचा में ढीलापन, झाइयां जैसे समस्याएं होने लगती है, जिसकी वजह से आप समय से पहले बूढ़ी दिखने लगती हैं।
एस्ट्रोजन लेवल का डायग्नोसिस व इलाज
1. डॉक्टर मेडिकल और फैमिली हिस्ट्री के आधार पर हार्मोनल कंडीशन के हिसाब से ब्लड टेस्ट करवाने की सलाह देते हैं वहीं कुछ मामलों में मरीज को ब्रेन स्कैन और डीएनए टेस्ट करवाने को भी कह सकते हैं।
2. इसके बाद गायनेकोलॉजिस्ट लक्षण, उम्र, रिस्क फैक्टर्स और मरीज की कंडीशन के आधार पर हार्मोनल गोलियां प्रिसक्राइब करती है। इसके अलावा ओरली, वेजाइना या टॉपिकली भी एस्ट्रोजन हार्मोन दिया जा सकता है, जो हार्मोनल असंतुलन, कार्डियोवस्कुलर डिजीज, बोन लॉस के जोखिम को घटाता है।
3. कुछ मामलों में डॉक्टर हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी करवाने का परामर्श दे सकते हैं।
डाइट से पूरी करें एस्ट्रोजन हार्मोन की कमी
इसके अलावा आप डाइट के जरिए भी शरीर में इसकी कमी को पूरा कर सकते हैं। इसके लिए हर्बल चाय (रेड क्लोवर लाल, थाइम), अलसी के बीज, कद्दू के बीज सुखे मेवे, खजूर, खुबानी, पिस्ता, सोया मिल्क को डाइट में लें। साथ ही दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीएं।
साथ ही रोजाना 30 मिनट एक्सरसाइज या योग, 7-8 घंटे की नींद और ज्यादा फिजिकल एक्टिविटी करें, ताकि हार्मोन के स्तर को कंट्रोल किया जा सके।