नारी डेस्क: ऑस्ट्रेलिया ने 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंध लगाने का ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिससे यह दुनिया का पहला देश बन गया है, जो इस तरह का सख्त कदम उठा रहा है। यह निर्णय सोशल मीडिया के बच्चों और युवाओं की मानसिक सेहत पर पड़ने वाले नकरात्मक प्रभावों को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच लिया गया है। सरकार ने यह कदम युवाओं को मानसिक दबाव और अन्य नुकसान से बचाने के लिए उठाया, जिससे सोशल मीडिया के बढ़ते उपयोग के दुष्परिणामों को नियंत्रित किया जा सके।
एक महिला की संजीदगी से हुआ यह कदम संभव
इस फैसले के पीछे दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के प्रीमियर (मुख्यमंत्री) पीटर मलिनॉस्कस की पत्नी का सुझाव था। उन्होंने अमेरिकी मनोवैज्ञानिक जोनाथन हैड्ट की किताब द एंग्शियस जेनरेशन पढ़ने के बाद अपने पति को इस मुद्दे पर कार्रवाई करने के लिए प्रेरित किया। किताब में सोशल मीडिया के बच्चों की मानसिक सेहत पर नकरात्मक प्रभावों पर चर्चा की गई थी।
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया की राज्य नीति से राष्ट्रीय कानून तक
प्रीमियर मलिनॉस्कस ने अपनी पत्नी के सुझाव के बाद इस कदम को गंभीरता से लिया और महज छह महीनों में इसे दक्षिण ऑस्ट्रेलिया की राज्य नीति से राष्ट्रीय कानून में बदल दिया। मलिनॉस्कस ने कहा कि उन्हें नहीं लगा था कि यह बदलाव इतनी जल्दी लागू होगा, लेकिन इसका त्वरित कार्यान्वयन यह साबित करता है कि जनता का समर्थन एक बड़ा कारक है।
ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों का व्यापक समर्थन
ऑस्ट्रेलिया के सरकारी यू गवर्नमेंट सर्वेक्षण के मुताबिक, 77 फीसदी ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों ने इस कदम का समर्थन किया, जिसमें 16 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
प्रधानमंत्री अल्बनीज का समर्थन और भविष्य की दिशा
प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज ने भी इस कदम को सही दिशा में उठाया गया कदम माना और बताया कि 2025 में होने वाले संघीय चुनावों से पहले इस गंभीर मुद्दे पर पूरे देश में समाधान की आवश्यकता है।
रूपर्ट मर्डोक का लेट देम बी किड्स अभियान
रूपर्ट मर्डोक के नेतृत्व में न्यूज कॉर्प ने लेट देम बी किड्स अभियान के माध्यम से इस मुद्दे को उजागर किया। इस अभियान ने सोशल मीडिया पर बच्चों के लिए प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता को बढ़ावा दिया और टिक टॉक जैसे ऐप्स पर प्रतिबंध लगाने का समर्थन किया।
उम्मीदें और भविष्य में संभावित बदलाव
ऑस्ट्रेलिया का यह कदम अन्य देशों के लिए एक उदाहरण हो सकता है, और उम्मीद जताई जा रही है कि अन्य देशों में भी बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम उठाए जा सकते हैं।
विरोध के बावजूद पारित हुआ नया कानून
दक्षिण ऑस्ट्रेलिया के प्रीमियर पीटर मलिनॉस्कस ने सितंबर में 14 साल से कम उम्र के बच्चों के लिए सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाने की नीति पेश की, जिसे प्रधानमंत्री अल्बनीज ने तत्परता से समर्थन दिया। हालांकि, वामपंथी ग्रीन पार्टी ने इसे जल्दबाजी में बनाया गया और युवाओं के लिए अनुचित करार दिया, जबकि कुछ दक्षिणपंथी सांसदों ने अपनी पार्टी के रुख से अलग होकर इस कानून का विरोध किया। इसके बावजूद, इस प्रस्ताव को द्विदलीय समर्थन हासिल हुआ और संसद के आखिरी दिन इसे पारित कर दिया गया। यह कानून 2025 के अंत तक लागू होगा, और अगले साल इसके तहत उम्र सत्यापन तकनीक का परीक्षण शुरू किया जाएगा।