नारी डेस्क: एक साल के होने तक शिशु का पाचन तंत्र पूरी तरह से विकसित नहीं हुआ होता है। यही वजह है कि इस उम्र तक शिशु को सारी चीजें नहीं खिलाई जा सकती हैं। 6 महीने तक बच्चे को सिर्फ ब्रेस्ट मिल्क दिया जाता है और इसके बाद धीरे-धीरे ठोस आहार खिलाना शुरू किया जाता है। बच्चे को इस समय किसी भी तरह के इंफेक्शन, एलर्जी या गले में कुछ अटकने से बचाने के लिए आपको उसे कुछ चीजें खिलाने से बचना चाहिए।आइए जानते हैं ऐसे 5 फूड्स के बारे में, जो छोटे बच्चों के लिए हानिकारक हो सकते हैं।
नमक और प्रोसेस्ड फूड्स
बच्चों के खाने में नमक डालने से बचें। एक साल तक के बच्चों के गुर्दे (किडनी) नमक को सही से प्रोसेस नहीं कर पाते। इससे उनके हेल्थ पर बुरा असर पड़ सकता है।चिप्स, बिस्किट्स, नमकीन स्नैक्स और अन्य प्रोसेस्ड फूड्स में ज्यादा नमक और चीनी होती है। इससे उनकी सेहत पर नेगेटिव असर पड़ सकता है और भविष्य में हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इन चीजो को बच्चों से दूर रखें।
शहद
शहद बच्चों के लिए हानिकारक हो सकता है, खासकर अगर वे एक साल से छोटे हैं। इसमें बॉटुलिज़म बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो बच्चे के पेट में जहर पैदा कर सकते हैं। इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं, उल्टी और पेट की खराबी हो सकती हैं। इसलिए, छोटे बच्चों को शहद देना खतरनाक हो सकता है।
कच्चे फल और सब्जियां
कच्चे फल और सब्जियां बच्चों के लिए खतरे का कारण बन सकती हैं, क्योंकि उन्हें चबाना और पचाना बच्चों के लिए मुश्किल हो सकता है। इससे बच्चे के गले में अटकने का खतरा रहता है। इसलिए बच्चों को हमेशा मुलायम, पके हुए फल और सब्जियाँ दें। खासकर गाजर, सेब, मटर जैसी चीजें छोटे टुकड़ों में काटकर दें।
नट्स और ड्राई फ्रूट्स
नट्स और ड्राई फ्रूट्स, जैसे कि बादाम, अखरोट, काजू आदि, बच्चों के लिए गला घुटने का खतरा बन सकते हैं, मतलब ये बच्चों के गले में फंस सकते हैं। छोटे बच्चे इन्हें निगल नहीं पाते हैं, और इससे गले में अटकने का खतरा रहता है। इसलिए, छोटे बच्चों को नट्स या ड्राई फ्रूट्स नहीं देने चाहिए या इन्हें अच्छे से पीसकर या महीन काटकर देना चाहिए।
आइसक्रीम
आइसक्रीम दूध से बनती है और एक साल से छोटे बच्चों के लिए गाय या भैंस का दूध पचाना मुश्किल होता है। इससे बच्चों को एलर्जी, पाचन समस्याएं या पेट दर्द हो सकता है। इसलिए एक साल से छोटे बच्चों को आइसक्रीम नहीं देनी चाहिए।
अंडा
अंडा एक बेहतरीन प्रोटीन स्रोत होता है, लेकिन बच्चों को कच्चा या अधपका अंडा नहीं देना चाहिए। इसमें साल्मोनेला बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो दस्त, उल्टी और बुखार का कारण बन सकते हैं। इसलिए अंडा हमेशा अच्छे से पका हुआ और ताजे अंडे का ही उपयोग करें।
एक साल तक के बच्चों को इन चीजो से दूर रखें ताकि उनका विकास सही तरीके से हो सके और वे स्वस्थ रहें।