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बच्चों को दूध पिलाते समय इन बातों का रखें खास ध्यान, वरना हो सकती हैं परेशानियां

  • Edited By Priya Yadav,
  • Updated: 28 Dec, 2024 04:33 PM
बच्चों को दूध पिलाते समय इन बातों का रखें खास ध्यान, वरना हो सकती हैं परेशानियां

नारी डेस्क: मां बनना हर महिला के लिए एक बेहद खुशी का पल होता है। बच्चे के जन्म के बाद महिलाओं को उसकी सेहत और पोषण का खास ध्यान रखना पड़ता है। स्तनपान बच्चों के लिए पोषण का सबसे अच्छा स्रोत है, लेकिन इसे सही तरीके से किया जाए, तो ही बच्चे को इसका पूरा फायदा मिलता है। आइए जानते हैं, बच्चे को दूध पिलाते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।

बच्चे को दूध पिलाने की सही स्थिति अपनाएं

दूध पिलाते समय बच्चे और मां दोनों की स्थिति का सही होना बहुत जरूरी है। बच्चे का सिर थोड़ा ऊंचा रखें और उसका मुंह आपके स्तन की ओर होना चाहिए। इससे बच्चे को दूध पीने में आसानी होती है। मां को भी ध्यान रखना चाहिए कि उसकी पीठ सीधी हो और उसे किसी प्रकार का दर्द या असुविधा न हो। आप कुशन या तकिये का सहारा ले सकती हैं, ताकि स्तनपान का अनुभव आरामदायक हो।

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सफाई का रखें ध्यान

बच्चे को दूध पिलाने से पहले हाथ धोना बेहद जरूरी है। इससे आप बच्चे को बैक्टीरिया और संक्रमण से बचा सकती हैं। इसके अलावा, ब्रेस्ट की साफ-सफाई का भी ध्यान रखें। स्तनपान से पहले ब्रेस्ट को गीले कपड़े से साफ करें और सुनिश्चित करें कि कोई दुर्गंध या गंदगी न हो। नियमित रूप से ब्रा बदलने से भी संक्रमण का खतरा कम होता है। अगर आप सार्वजनिक जगह पर हैं, तो स्तनपान के लिए साफ-सुथरी और प्राइवेट जगह का चयन करें।

 ब्रेस्ट वाइप का सही चयन करें

दूध पिलाने से पहले यदि आप ब्रेस्ट वाइप का इस्तेमाल करती हैं, तो ध्यान रखें कि वह एल्कोहल, पैराबींस और खुशबू रहित हो। खुशबू वाले उत्पाद बच्चे की त्वचा को नुकसान पहुंचा सकते हैं। ब्रेस्ट वाइप का इस्तेमाल करने से न केवल सफाई होती है, बल्कि यह आपके बच्चे को सुरक्षित रखने में मदद करता है। इसके अलावा, वाइप को इस्तेमाल करने के बाद स्तन को सूखा पोंछना न भूलें।

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 दोनों स्तनों से दूध पिलाना है जरूरी

अगर आपका बच्चा सिर्फ एक स्तन से दूध पीता है, तो यह आदत ठीक नहीं है। उसे दोनों स्तनों से दूध पिलाने की कोशिश करें। इससे न केवल आपके दूध का उत्पादन संतुलित रहेगा, बल्कि बच्चे को भी हर बार पर्याप्त मात्रा में दूध मिलेगा। एक स्तन से दूध पिलाने के बाद दूसरे स्तन से दूध पिलाना सुनिश्चित करें। यह आपके स्तनों में गांठ बनने की समस्या को भी कम करता है।

 स्तनपान करते समय मां के लिए आराम जरूरी

दूध पिलाने के दौरान मां को आराम महसूस करना बेहद जरूरी है। इसके लिए एक ऐसी जगह चुनें, जहां आप बिना किसी रुकावट के आराम से बैठ सकें। कुर्सी या सोफे पर बैठकर अपने पैर को सही स्थिति में रखें। अगर लंबे समय तक बैठना मुश्किल लगे, तो आप लेटकर भी बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं। आरामदायक स्थिति में दूध पिलाने से मां और बच्चे दोनों को फायदा होता है।

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 दूध पिलाने के बाद बच्चे को डकार दिलाना न भूलें

दूध पीने के बाद बच्चे को डकार दिलाना बेहद जरूरी है। इससे बच्चे के पेट में फंसी हवा बाहर निकल जाती है और उसे गैस या पेट दर्द की समस्या नहीं होती। बच्चे को अपने कंधे पर उठाकर उसकी पीठ को हल्के हाथों से थपथपाएं। अगर बच्चा डकार नहीं ले रहा है, तो उसे कुछ समय के लिए सीधा बैठाकर रखने की कोशिश करें।

 अपनी डाइट पर ध्यान दें

मां के खाने का सीधा असर दूध की गुणवत्ता पर पड़ता है। इसलिए स्तनपान कराने वाली मां को प्रोटीन, कैल्शियम, आयरन और विटामिन युक्त आहार लेना चाहिए। दिनभर में पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं, ताकि शरीर में पानी की कमी न हो। जंक फूड और कैफीन से बचें, क्योंकि यह दूध के माध्यम से बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है।

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 दूध पिलाने का समय निश्चित करें

बच्चे को हर 2-3 घंटे में दूध पिलाना चाहिए। अगर बच्चा सो रहा है, तो भी उसे दूध पिलाने के लिए हल्के से जगाएं। रात में दूध पिलाने का समय तय रखें, ताकि बच्चे को भूख लगने पर रोना न पड़े। धीरे-धीरे बच्चा एक निश्चित समय पर दूध पीने की आदत बना लेगा।

 बच्चे के संकेतों को पहचानें

बच्चे के संकेतों पर ध्यान दें। जब बच्चा भूखा होता है, तो वह अपना मुंह खोलता है या उंगलियां चूसने लगता है। रोने का इंतजार न करें, क्योंकि रोना भूख का आखिरी संकेत होता है। बच्चे के संकेतों को समझकर उसे तुरंत दूध पिलाएं।

डॉक्टर से परामर्श लें

अगर आपको दूध पिलाने के दौरान किसी प्रकार की समस्या हो रही है, तो डॉक्टर या स्तनपान विशेषज्ञ से परामर्श लें। स्तन में दर्द, दूध का कम उत्पादन या बच्चे का दूध न पीना जैसी समस्याओं को नजरअंदाज न करें। विशेषज्ञ की सलाह से आप इन समस्याओं का समाधान आसानी से पा सकती हैं।

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इन सभी उपायों का पालन करके आप अपने बच्चे को स्वस्थ और खुश रख सकती हैं। दूध पिलाने का यह अनुभव न केवल आपके बच्चे के विकास में मदद करेगा, बल्कि मां और बच्चे के बीच मजबूत बंधन भी बनाएगा।
 

 
 
 

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