नारी डेस्क: बच्चे जब छोटे होते हैं, तो उनका दिमाग एक स्पंज की तरह होता है, जो हर चीज को अपने अंदर सोखता रहता है। इन बातों का असर उसके मेंटल इमोशनल ग्रोथ पर डायरेक्ट पड़ता है। अगर बच्चे के सामने माता पिता पॉजिटिव बातें बोलें, तो वह भी पॉजिटिव बना रहता है, लेकिन अगर वह घर पर हो रहे निगेटिव टॉक के बीच है तो इसका उसकी पर्सनैलिटी पर बुरा असर पड़ता है। यही नहीं, उसके सोचने का नजरिया भी काफी कुछ नेगेटिव होने लगता है। आइए जानते हैं उन 5 बातों के बारे में, जिन्हें पेरेंट्स को अपने बच्चों के सामने नहीं कहनी चाहिए, ताकि बच्चों का कॉन्फिडेंस बना रहे।
तुम कभी कुछ नहीं कर सकते
अगर आप अपने बच्चे के सामने यह कहते हैं कि वह कुछ नहीं कर सकता, तो इससे बच्चे का आत्मविश्वास टूट जाता है। बच्चों को अपने प्रयासों से सीखने और सुधारने का मौका देना चाहिए। अगर बच्चे से कोई गलती हो जाए तो उसे समझाएं, न कि उसे नेगेटिव बातें कहें। इससे बच्चे को यह महसूस होगा कि वह किसी भी समस्या का हल निकाल सकता है।
बच्चे की तुलना दूसरों से करना
जब बच्चे को दूसरों से बार-बार तुलना की जाती है, तो यह उसकी मेंटल हेल्थ को प्रभावित कर सकता है। हर बच्चा अलग होता है, और उसे अपनी अलग पहचान बनाने का अधिकार है। बच्चों को अपनी तरफ से अच्छा करने की प्रेरणा दें, बजाय इसके कि आप उन्हें हमेशा किसी और से तुलना करें।
तुम बड़े होकर क्या बनोगे, तुम कुछ नहीं कर पाओगे"
अगर पेरेंट्स बच्चों के भविष्य को लेकर नेगेटिव बातें करते हैं, तो इससे बच्चे में डर पैदा हो सकता है। उन्हें यह महसूस कराना बहुत ज़रूरी है कि वे किसी भी लक्ष्य को प्राप्त करने में सफ़ल हैं, और उनका भविष्य उज्जवल हो सकता है। बच्चों को उनके सपनों और लक्ष्यों को पूरा करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।
गलती करने पर बार-बार ताना देना
अगर आपके बच्चे से कोई गलती हो जाती है, तो उसे सुधारने का मौका दें। कई बार पेरेंट्स बार-बार उसे ताना मारने लगते हैं, जिससे बच्चा परेशान हो जाता है।इस तरह की बातों से बच्चे यह महसूस करते हैं कि वे किसी काम के नहीं हैं, और उनका कॉन्फिडेंस गिर जाता है।
बिना किसी गलती के बच्चे को डांट देना
पेरेंट्स बिना गलती के भी कई बार बच्चों को गलत ठहराते हैं। इस वजह से उनका आत्मविश्वास कम होने लगता है, तो भूलकर भी पेरेंट्स ऐसी गलती ना करें।अगर आप अपने बच्चे से बार-बार बिना किसी गलती के डांट देते है तो यह कहते हैं तो यह उसके मन में नेगेटिव विचारों को जन्म देता है।
बच्चों के साथ हमेशा अच्छे शब्दों का इस्तेमाल करें और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करें।