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क्या वैक्‍सीन लगवाने वाले हो सकते हैं डेल्टा+ वेरिएंट का शिकार? जानिए 7 जरूरी बातें

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 29 Jun, 2021 12:05 PM
क्या वैक्‍सीन लगवाने वाले हो सकते हैं डेल्टा+ वेरिएंट का शिकार? जानिए 7 जरूरी बातें

लुधियाना और चंडीगढ़ ने पिछले 2 दिनों में डेल्टा प्लस वायरस के पहले मामले की सूचना दी। इसके बाद वो उन राज्यों की सूची में शामिल हो गए जहां अब तक इस नए संस्करण के केस सामने आए। विशेषज्ञों ने कहा कि इस संस्करण के बारे में अधिक जानने और अध्ययन की आवश्यकता है लेकिन तेजी से बढ़ते मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। ब️ता दें कि अब डेल्टा प्लस वेरिएंट 12 देशों में मौजूद है। भारत में 12 राज्यों से डेल्टा प्लस के 48 मामले सामने आए हैं।

​वैक्सीनेशन के बाद भी हो सकते हैं संक्रमित

कहा जा सकता है कि वैक्सीनेशन की दोनो डोज लेने के बाद भी व्यक्ति डेल्टा प्लस वेरिएंट की चपेट में आ सकती है। यह नया वेरिएंट वैक्सीन से बनने वाले एंटीबॉडी को चकमा दे सकता है। हालांकि वैज्ञानिकों का कहना है कि कुछ वैक्सीन डेल्टा वेरिएंट पर काम करती हैं। हालांकि अभी इस पर रिसर्च जारी है।

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ऐसे में हर किसी को डेल्टा प्लस के बारे में जानना बहुत जरूरी है। यहां हम आपको डेल्टा प्लस के बारे में जानने के लिए 10 बातें बताएंगे।

1. यह नया संस्करण फेफड़ों में म्यूकोसल से संबंधित है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि वायरस फेफड़ों को अधिक प्रभावित करेगा। हालांकि अन्य म्यूटेशन की तुलना में यह फेफड़ों में अधिक पाया गया।

2. टीका लगवाने वालों में यह रोग हल्का होता है। यहां तक ​​​​कि टीकाकरण की एक खुराक ने भी संस्करण को कम गंभीर बना दिया है। राजस्थान में टीकाकृत महिला डेल्टा प्लस संस्करण से प्रभावित थी लेकिन वह इलाज से पहले ही ठीक हो गई।

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3. वर्तमान में, देश में लगभग 50-55 डेल्टा प्लस मामलों की पहचान की गई है। हालांकि यह संख्या अधिक होने कि संभावना है अगर सावधानी ना बरती गई।

4. पहले कहा गया था कि डेल्टा प्लस मोनोक्लोनल एंटीबॉडी कॉकटेल थेरेपी का विरोध करता है, जिसमें एंटीबॉडी कृत्रिम रूप से शरीर में निर्मित होती है। मगर अब विशेषज्ञ इस बात की पुष्टि नहीं करते कि वैरिएंट टीकों द्वारा उत्पादित एंटीबॉडी का भी विरोध करेगा।

5. देश में अप्रैल की शुरुआत से ही वेरिएंट आ चुका है। पहला नमूना जिसमें डेल्टा प्लस मिला था, उसे अप्रैल में महाराष्ट्र में एकत्र किया गया था। ऐसे में यह नहीं कहा जा सकता है कि संस्करण अधिक फैलेगा क्योंकि संस्करण, पिछले दो महीनों से, 50 मामलों से अधिक नहीं फैला।

6. डेल्टा प्लस में मौजूद म्यूटेंट भी सबसे पहले साउथ अफ्रीका में मिले वेरिएंट में मौजूद था। यह अकेले बहुत विषैला साबित नहीं हो सकता है। N501Y और K147N (डेल्टा प्लस में मौजूद म्यूटेशन) एक साथ इम्यून-एस्केप बन सकते हैं।

7. डेल्टा प्लस में प्लस यह नहीं दर्शाता है कि यह संस्करण डेल्टा से अधिक मजबूत है। फिलहाल डेल्टा प्लस डेल्टा की तुलना में कम संचरणीय है। यदि मामलों की संख्या इसी तरह बनी रहती है, तो डेल्टा प्लस एक प्रमुख संस्करण के रूप में सामने नहीं आएगा।

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