भारत के पारम्परिक त्यौहारों में होली पर्व का विशिष्ट स्थान है । होली को रंगों का त्योहार कहा जाता है और होली के दिन हमें एेसे रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए जो हमारी त्वचा को नुक्सान न पहुंता सकें। प्राकृतिक वस्तुओं और फूलों का प्रयोग करके हम घर पर ही रंग तैयार कर सकते है।
सूखे या गीले रंगों में प्राकृतिक वस्तुओं और फूलों का प्रयोग किया जा सकता है । लाल रंग पवित्रता, हरा प्रकृति, नीला शांति, पीला शुद्धता, गुलाबी उल्लास तथा काला क्रूरता का आभास देता
- हरा रंग
मेंहदी, पालक, पुदीना पीस कर छान लें और प्राकृतिक हरा रंग तैयार है ।
- लाल रंग
टेसू, पलाश, गुलमोहर के फूलों से लाल रंग बनाएं ।
- पीला रंग
हल्दी तथा गेंदे के फूल आपको पीला रंग देंगे ।
- गुलाबी रंग
अमलतास, अनार के छिलकों, चुकंदर गहरा गुलाबी रंग देगा । कचनार से गुलाबी रंग मिलेगा । थोड़ा-सा केसर बहुत-सा नारंगी रंग बना देता है ।
- ब्राऊन रंग
चाय या काफी का प्रयोग भी आप ब्राऊन रंग के लिए कर सकते हैं ।
- नीला रंग
नीले रंग को बनाने के लिए नीले गुड़हल के फूलों की आवश्यकता होगी, इसे सुखाकर पीसने के बाद सूखा नीला रंग मिल जाएगा।
- मजेंटा रंग
मजेंटा रंग बनाने के लिए एक चुंकदर को पीसकर इसमें पानी मिला दें।
- सूखे रंगों के लिए
इसके लिए अाप लाल,पीला व सफेद चंदन मुल्तानी मिट्टी या मैदे में मिलाकर प्राकृतिक गुलाल बना सकते हैं । यह त्वचा के लिए गुणकारी भी रहेगा ।