वैश्विक स्वच्छता संकट से निपटने के लिए हर साल 19 नवंबर को विश्व शौचालय दिवस (World Toilet Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का मकसद सार्वजनिक स्वास्थ्य, लैंगिक समानता, शिक्षा, आर्थिक विकास और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देना है। हालांकि आज भी ऐसे बहुत से गांव व कस्बे हैं, जहां शौचालय नहीं है। लोग अभी भी जंगलों में टॉयलेट के लिए जाते हैं। वहीं, सार्वजनिक शौचालय होने के बाद भी देश की दीवारों गंदी मानसिकता से रंगी हुई हैं। अब सिर्फ सरकार के प्रतिबंद्ध लगाने से तो देश की स्थिति नहीं होगी। स्वच्छता के लिए कुछ कदम हमें भी उठाने होंगे।
विश्व शौचालय दिवस 2021 की थीम: 'शौचालयों का महत्व'
इस वर्ष की थीम शौचालयों के महत्व को लेकर है, जिसका मकसद इस तथ्य की ओर ध्यान आकर्षित करना है कि शौचालय और स्वच्छता कितनी जरूरी है। WHO/UNICEF संयुक्त निगरानी कार्यक्रम (JMP) की रिपोर्ट के अनुसार, आज भी कई लोग टॉयलेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं, जिसके कारण स्वच्छता और स्वास्थ्य दोनों ही प्रभावित हो रहे हैं।
साल 2001 में हुई थी शुरूआत
वैसे तो यह दिन पहली बार साल 2001 में मनाया गया था लेकिन इस दिन को मनाने की अधिकारिक घोषणा संयुक्त राष्ट्र महासभा ने साल 2013 में की थी। साल 2013 में संयुक्त राष्ट्र ने एक बिल पास किया था, जिसके बाद से इसे हर साल मनाया जाने लगा।
3.6 बिलियन लोग टॉयलेट से वंचित
पुराने समय में लोगों के पास शौचालय जैसी सुविधाएं नहीं था लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि आज के आधुनिक युग में भी 3.6 बिलियन लोग टॉयलेट से वंचित है। ऐसे में सरकार को 4 गुना तेजी से काम करना होगा और 2030 तक सभी के लिए शौचालय बनवाना होगा। वहीं, जागरूकता की कमी के कारण बहुत से लोग खुले में ही शौच जाते हैं, जो ना जाने कितनी बीमारियों को न्यौता देता है।
बता दें कि संयुक्त राष्ट्र के 6 सतत विकास लक्ष्यों में से लोगों को शौचालय का महत्व समझाना भी एक है।