एक समय ऐसा था जब महिलाओं के साथ पीरियड्स के दौरान अच्छा व्यवहार नहीं किया जाता था। लोगों की सोच ऐसी होती थी कि महिलाएं इन दिनों शुद्ध नहीं होती है । लोगों की सोच तो ये तक होती थी कि अगर महिला पीरियड के समय घर पर रहेंगी तो जरूर कुछ अशुभ होगा। कुछ स्थान तो ऐसे हैं जहां महिलाओं को इन दिनों अपने ही घर से बाहर निकाल दिया जाता है और उन्हें 7-8 दिन बाहर ही रहने दिया जाता है। अब आप सोच रहे होगें कि ऐसी कौन सी जगह है जहां महिलाओं के साथ आज भी ऐसा किया जाता है।
हम बात कर रहे हैं नेपाल की। जी हां नेपाल के कुछ इलाके ऐसे हैं जहां महिलाओं के साथ ऐसा किया जाता है। हालांकि यहां आपको बता दें कि कानूनी तौर से इस प्रथा पर बैन लगा दिया गया है और अगर कोई ऐसा करता है तो उसके लिए सजा का भी प्रावधान है।
इस प्रथा को छौपाड़ी कहते हैं
जैसे कि हमने आपको बताया कि इस प्रथा पर कानूनी तौर से बैन लग चुका है लेकिन अगर खबरों की तरफ रूख करें तो कुछ इलाकों में आज भी यह प्रथा जारी है। इस के दैरान महिला को पीरियड्स के समय घर से बाहर भेज दिया है। इस प्रथा को छौपाड़ी कहा जाता है। इस प्रथा के अनुसार शादीशुदा महिलाओं को पीरियड्स के समय 1 दिन के लिए घर से बाहर कर दिया जाता है और जो अविवाहित लड़कियां या महिलाएं होती हैं उन्हें तकरीबन 7 दिनों के लिए यानि एक हफ्ते के लिए घर से बाहर रहना पड़ता है।
पीरियड्स के दिनों में महिलाओं को मानते हैं अशुभ
इस प्रथा के अनुसार व वहां के लोगों का ऐसा मानना है कि अगर पीरियड्स के दौरान महिलाएं घरों में रहेगी तो उनकी वजह से कुछ अशुभ होगा इतना अशुभ कि किसी की मौत भी हो सकती है। खबरों की मानें तो ये प्रथा पश्चिमी नेपाल में अछम नाम के एक जिले में होती है। खबरों के मुताबिक कानूनी रूप से अपराध माने जाने वाली यह प्रथा आज भी वहां के लोग मानते हैं।
किसी झोपड़ी में भेज दिया जाता है
इस प्रथा के अनुसार यहां जिन महिलाओं को घर से बाहर भेज दिया जाता है उन्हें किसी झोपड़ी में रहने के लिए कहा जाता है। अगर हम रिपोर्टस की मानें तो इसी प्रथा के चलते एक महिला की झोपड़ी में दम घुटने से मौत भी हो गई थी।
ऐसे हैं इस प्रथा के नियम
- महिला इन दिनों में न घर में वापस आ सकती है
- महिलाएं न ही मंदिर जा सकती है
- किसी तालाब या सार्वजनिक नल से पानी लेने से भी महिलाओं को मनाही होती है
- खाना नहीं बनाने दिया जाता
- महिला अगर नहाना चाहती है तो उसे गांव का पानी इस्तेमाल नहीं करने दिया जाता
- टॉयलेट के लिए भी महिलाओं को दूर खेतों में जाना पड़ता है
- चार दिन बाद गाय के मूत्र से शुद्ध होना पड़ता है
क्या है स्थानीय लोगों का मानना
इस प्रथा पर वहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि
- पीरियड्स में अगर महिलाएं घर पर रहेंगी तो भगवान गुस्सा हो जाएंगे
- अगर महिला को इन दिनों घर से बाहर नहीं किया गया तो परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट जाएगा
- किसी की मौत भी हो सकती है
- लोगों का मानना है कि अगर पीरियड के दौरान कोई महिला गाय को छू देगी तो गाय दूध नहीं देगी
प्रथा का विरोध करने पर महिलाओं के साथ किया जाता है ऐसा
वहीं अगर इस प्रथा के खिलाफ कोई महिला बोलती है या फिर वो इस के खिलाफ आवाज उठाती हैं तो उसे लोगों का व अपने परिवार का गुस्सा झेलना पड़ता है।
इस के दैरान महिलाओं को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जैसा कि हम सब जानते हैं कि पीरियड्स के दिनों में महिलाओं के लिए साफ सफाई कितनी जरूरी होती और साथ ही उनके लिए अच्छा खान-पान भी जरूरी होता है ऐसे में इस प्रथा के तहत महिलाओं को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।