लोहड़ी का त्योहार न केवल पंजाब बल्कि पूरे भारत में बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इस दिन लोग घरो में साग, मक्की की रोटी, खीर आदि पकवान बनाते है। इस दिन बच्चे घर-घर जाकर लोहड़ी मांगते है और शाम के समय घरों के बाहर लोहड़ी जलाई जाती है। इस दौरान लोग अग्नि में रेवड़ी और मूंगफली डाल कर भगवान का आर्शीवाद लेते है चलिए आज हम आपको बताते है कि आग में रेवड़ी और मूंगफली क्यों डाली जाती है।
यह त्योहार न केवल हिंदू लोगों के लिए बल्कि किसानों के लिए भी बहुत ही महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इन दिनों गन्ने की फसल की कटाई की जाती है। वहीं गन्ने से गजक और रेवड़ी, गुड़ बनता है।
क्या है लोहड़ी का अर्थ
लोहड़ी का अर्थ है- ल (लकड़ी), ओह (गोहा यानी सूखे उपले), ड़ी (रेवड़ी)। लोहड़ी के मौके पर लोग मूंगफली और रेवड़ी को इक्ट्ठा करके चौराहे और मुहल्ले में खुले स्थान पर आग लगाकर जलाते है। वहीं कुछ घरों में मन्नत पूरी होने पर चरखा तो कुछ में गोबर के उपलों की माला बनाकर चढ़ाई जाती है।
क्या है रेवड़ी और मूंगफली जलाने का महत्व
बुरी नजर से बचते है बच्चे
लोहड़ी की आग में गजक और रेवड़ी को अर्पित करना बहुत ही शुभ माना जाता है। होलिका दहन की तरह उपलों और लकड़ियों के ढेर बना कर उसका दहन किया जाता है। माना जाता है इसके आस-पास बच्चों को लेकर चक्कर लगाने से वह स्वस्थ रहते है और बुरी नजर से बचे रहते है।
घर में न हो अन्न और धन की कमी
हिंदू शास्त्रों के अनुसार अग्नि में समर्पित की जाने वाली चीजें सीधे भगवान तक पहुंचती है। इसलिए इस पवित्र अग्नि में लोहड़ी के दिन रेवड़ी, तिल, मूंगफली,गुड़, गजक डाली जाती है ताकि वह सूर्य और अग्नि देव के प्रति आभार प्रकट सके। उनसे प्रार्थना की जाती है सारा साल कृषि में उन्नति हो और उनके घर में धन और अन्न की कभी कमी न हो।
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