अक्टूबर महीने की आखिरी तारीक को हर साल हैलोवीन डे मनाया जाता है। पहले तो यह सिर्फ पश्चिमी देशों में मनाया जाता था लेकिन अब इसे मनाने का चलन भारतीय लोगों में भी बढ़ गया है। हर साल 31 अक्टूबर को 'हेलोवीन डे' मनाया जाता है। इस दिन को लोग भूतिया तरीके से सेलीब्रेट करते हैं।
टीनएजर्स इस दिन को बड़े चाव से मनाते हैं। इसी थीम पर पार्टीज रखी जाती है। लोग इसी थीम से मिलता जुलता मेकअप करते हैं , कपड़े पहनते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हैलोवीन क्या है?
क्यों मनाया जाता है Halloween Day?
'हैलोवीन डे' पश्चिमी देशों के साथ-साथ भारत में भी मनाया जाने लगा है। ब्रिटेन, अमेरिका, जापान, मेक्सिको के साथ-साथ भारत में भी लोग मेकअप व ड्रेस के साथ 'भूत' बनकर इस दिन को सेलिब्रेट करते हैं। बच्चों के लिए तो यह चॉकलेट्स लेने का दिन है लेकिन बड़ों के लिए इस दिन पूर्वजों की आत्मा शांति के लिए प्रार्थना की जाती है। यह दिन 'सेल्टिक कैलेंडर' का आखिरी दिन होता है इसलिए सेल्टिक लोग इसे नए वर्ष की शुरूआत में मनाते हैं। अमेरिका में तो इसे कद्दू की खेती की कटाई के साथ भी जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस समय कद्दू बड़े- बड़े मिलने लगते हैं जिन्हें काटना आसान हो जाता है।
इसलिए पहने जाते हैं भूतों के कपड़े
हैलोवीन को आल हेलोस इवनिंग, आल हैलोवीन, आल होलोस ईव और आल सैंट्स ईव भी कहा जाता है। किसान ऐसा मानते हैं कि इस दिन बुरी आत्माएं धरती पर आकर उनकी फसल को नुकसान पहुंचा सकती हैं। इसलिए उन्हें भगाने के लिए वह खुद डरावना रूप लेते थे। धीरे-धीरे यह दिन त्यौहार के रूप में मौज-मस्ती के साथ मनाया जाने लगा।
कद्दू को काटकर बनाया जाता है डरावना चेहरा
इस दिन आग अलाव भी जलाते हैं। ये इस दिन की सबसे पुरानी पंरपरा है। दरअसल इसमें कद्दू को काटकर उसको एक चेहरे का आकार दे दिया जाता है। उसमें मोमब्बती जलाई जाती है। इससे कई बार डरावना चेहरा बनाकर लोगों को डराते भी हैं। इसके बाद इसे साथ में दफना दिया जाता है।
ऐसे मनता है दिन
इस दिन को लोग खुशी खुशी मनाते हैं। भूतों की पोशाक पहनते हैं। यह पोशाक काफी डरावनी होती है। इस दिन लोग एक दूसरे के घरों में जाते हैं और कद्दू के आकार का बैग लेते हैं जिसे जैक ओ लॉलटेन कहा जाता है। इस बैग में कैंडीज भरी होती है। लोग एक दूसरे को कैंडीज देते हैं। इस दिन को और खास बनाने के लिए लोग गेम्स भी खेलते हैं।