नारी डेस्क: सर्दियों के मौसम में कई ब्रेस्टफीडिंग माताओं को दूध कम आने की समस्या का सामना करना पड़ता है। इसके पीछे कारण शरीर में ठंड का प्रभाव, उचित पोषण की कमी, या तनाव हो सकते हैं। अगर आप भी बच्चे को दूध पिलाती हैं और इसी तरह की समस्या को झेल रही हैं तो आपको यह यह जानना बहुत जरूरी है कि इस मौसम में आपको क्या खाना चाहिए। इसके अलावा हम आपको कुछ देसी उपाय भी बताने जा रहे हैं जिससे कुछ मदद मिल सकती है।
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पौष्टिक और गर्म आहार का सेवन करें
सर्दियों में शरीर को गर्म और पोषण से भरपूर आहार की जरूरत होती है। जैसे गोंद, सूखे मेवे, और घी से बने लड्डू ब्रेस्टमिल्क बढ़ाने में मददगार होते हैं। वहीं मूंगफली और गुड़ भीये दूध उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ शरीर को गर्म रखते हैं। इसके अलावा हल्दी, अदरक, और देसी मसालों से बना गरम सूप या खिचड़ी शरीर को पोषण और गर्माहट देती है। सौंफ को पानी को सुबह-शाम उबालकर पीने से भी दूध के प्रवाह बेहतर हो जाता है।
आयुर्वेदिक उपाय और जड़ी-बूटियां
कहा जाता है कि शतावरी पाउडर को गर्म दूध में मिलाकर पीने से ब्रेस्टमिल्क की गुणवत्ता और मात्रा बढ़ती है। इसके अलावाअजवाइन के पानी से गैस की समस्या दूर होती है और दूध का उत्पादन बेहतर होता है। ठंड में पानी कम पीने से शरीर डिहाइड्रेट हो सकता है, इसलिए गर्म पानी या गुनगुने हर्बल टी का सेवन करें। सूप और नारियल पानी को आहार में शामिल करें।
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गर्म तौलिये से सिकाई
सर्दियों में ठंड से ब्रेस्ट का रक्त प्रवाह कम हो सकता है। एक तौलिये को गर्म पानी में भिगोकर हल्का निचोड़ें और ब्रेस्ट के आसपास हल्की सिकाई करें। यह ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाता है और दूध का प्रवाह सुगम बनाता है। ध्यान रखें कि जितना ज्यादा बच्चे को दूध पिलाएंगी, उतना ही दूध बनेगा। ठंड में बच्चे को सही पोजिशन में रखकर दूध पिलाएं ताकि ठंड का असर न हो।
तनाव को करें कम
कई बार तनाव के कारण भी दूध की मात्रा कम हो जाती है, ऐसे में जितना संभव हो सके खुद को खुश रहें ताकि आपके साथ- साथ बच्चा भी खुश रहे।
नियमित योग और प्राणायाम से भी तनाव को कम करने में मदद मिलती है। अगर संभव है तो गर्म तेल से शरीर और सिर की मालिश करें, इससे काफी हद तक आराम मिलेगा।
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इन बातों का भी रखें ख्याल
-अत्यधिक ठंडी या तैलीय चीजों से बचें।
-कोई समस्या लंबे समय तक बनी रहे तो डॉक्टर से सलाह लें।
-गैस, अपच, या एलर्जी से बचने के लिए संतुलित आहार लें।
-सही आहार, नियमित देखभाल, और तनावमुक्त दिनचर्या से दूध का प्रवाह सामान्य बनाए रखना संभव है।