हम सब ने कभी न कभी टाइम ट्रैवेलिंग की कहानियां सुनी होंगी। कई लोगों ने टाइम ट्रैवेलिंग को experience किया है। इन लोगों का दावा है कि सैकड़ों साल पहले की यात्रा की जा सकती है। वो भविष्य में घटने वाली कई घटनाओं के बारे में बताते हैं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या भविष्य को देखा जा सकता है। इस पर कई सालों से शोध किया जा रहा है। विज्ञान भी इसको लेकर कुछ नहीं बता पाया है, लेकिन इसकी संभावना से इंकार भी नहीं किया जा सका है। इन दिनों टाइम ट्रैवल यानी समय यात्रा दुनिया में चर्चा का विषय बन गई है। कई ऐसी फिल्में भी है जिसमें बेहद ओनेखे अंदाज में समय यात्रा को दिखाया है। लेकिन लोगों के मन में हमेशा ये सवाल रहता है कि क्या कोई सच में समय की यात्रा कर सकता है। इस सवाल का जवाब तो फिलहाल किसी के पास नहीं है, पर कहा जाता है कि धरती में एक ऐसी जगह है जहां पर टाइम ट्रैवेलिंग संभव है। इस पर लोगों को यकीन नहीं होगा, लेकिन ये सच है। इस जगह का नाम है डायोमीड द्वीप, जिसको बिग डायोमीड और लिटिल डायोमीड में बांटा गया है। इस द्वीप दुनिया को दो महाशक्तियों अमेरिका और रूस को जोड़ता है। इसकी खास बात ये है कि इसके एक छोर से दूसरे तक सफर टाइम ट्रैवेलिंग का होता है, क्योंकि आप भूतकाल से भविष्य में पहुंच जाते हैं।
भविष्य में पहुंच जाते हैं इंसान
बिग डायोमीड और लिटिल डायोमीड के बीच की दूरी सिर्फ 4.8 किलोमीटर है। इसके बावजूद लोग अतीत और भविष्य का सफर बताते हैं। प्रशांत महासागर से गुजरने वाली इंटरनेशनल डेट लाइन को इसकी वजह से जाना जाता है। इस लाइन से बिग डायोमीड और लिटिल डायोमीड के बीच एक दिन का अंतर हो जाता है। उत्तरी ध्रुव से दक्षिणी ध्रुव से जाने वाली इंटरनेशनल डेट लाइन एक काल्पनिक रेखा है। ये कैलेंडर के एक दिन और दूसरे दिन के बीच की सीमा है। बिग डायोमीड को Tomorrow और लिटिल डायोमीड को Yesterday Island के नाम से भी लोग जानते हैं।
इन द्वीपों में पुल के जरिए कर सकते हैं टाइम ट्रैवेलिंग
इन द्वीपों पर ठंड के मौसम में बर्फ पड़ती है, तो एक पुल बन जाता है। इस पुल के जरिए दोनों पर लोग पैदल ही यात्रा कर सकते हैं। अगर आप एक छोर से सोमवार को चलेंगे तो दूसरे छोर तक मंगलवार को पहुंचेंगे। ऐसे ही वो भविष्य से अतीत में भी वापस आ सकते हैं, लेकिन काननू इसकी इजाजत नहीं है। एक मीडिया रिपोर्ट के हिसाब से साल 1987 में अमेरिका ने रूस से अलास्का को खरीदा था। तह दोनों देशों की तरफ से बिग डायोमीडऔर लिटिल डायोमीड के माध्यम से सीमा को रेखांकित किया गया था। इन दोनों द्वीपों का नाम डेनिश- रशियन नाविक विटस बेरिंग ने रखा गया था, जिन्होंने ने 16 अगस्त 1728 में इन दोनों द्वीपों को खोजा था।