बॉलीबुड में बायोपिक का दौर सा चल रहा है । कंगना रनौत जो आजकल पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की 'इमरजेंसी' बायोपिक में व्यस्त हैं, बहुत जल्दी ही बिनोदिनी दास उर्फ नटी बिनोदिनी की बायोपिक में भी काम करने वाली हैं। आपको यह जानकर हैरानी होगी की वैश्य समाज से बिनोदिनी दास ने एक बहुत ही कांर्तीकारी जिंदगी जी। यह बंगाल की सबसे प्रतिष्ठित शख्सियतों में से एक रही और फेमस थियेटर आईकॉन थी। उस ज़माने में मार्दों से कंधे से कंधा मिलाकर चलने वाली बिनोदिनी की जिंदगी के सफर में डलते है एक नज़र।
12 साल की उम्र में की करियर की शुरुआत
बिनोदिनी दास का जन्म 1863 में एक सेक्स वर्कर के यहां हुआ। उनको बचपन से ही एक्टिंग का शौक था। 12 साल की उम्र में बिनोदिनी ने थियेटर जोइन कर लिया। उनको पहले महिला बंगाली स्टर्स में से एक गिना जाता है। उन्होंनें अपने करियर में प्रमिला, सीता, द्रौपदी, राधा, आयशा, कैकेयी, मोती भाभी और कपालकुंडला जैसी कई भूमिकाएं निभाईं थीं।
लिखने का भी था शौक
भले ही स्वामी विवेकानंद और महान संत रामकृष्ण परमहंस जैसी महान हास्तियों ने बिनोदिनी की कला की प्रशंसा की, लेकिन फिर भी समाज में उनको अलग नजर से देखा जाता था। उन्होंने अचानक थियेटर छोड़ दिया था। उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी में धोखे का जिक्र किया है। आपको बता दें की बिनोदिनी एक्ट्रेस और सिंगर थीं। उन्हें लिखने का भी शौक था। उन्होंने 1912 में अपनी ऑटोबायोग्राफी 'अमार कथा' पब्लिश की थी। वो कविताएं भी लिखती थीं और अपनी सरल और स्पष्ट शैली में कई कहानियां भी लिखीं।
कंगना रनौत है फिल्म को लेकर एक्साइटेड
नटी बिनोदिनी पर पहले भी फिल्में और डॉक्युमेंट्री बन चुकी है। साल 1994 में दिनेन गुप्ता की बंगाली मूवी नटी बिनोदिनी में देबाश्री रॉय ने उनका किरदार निभाया था। बंगाली फिल्म इंडस्ट्री के फेमस फिल्ममेकर रितुपर्णो घोष ने भी उन पर एक फिल्म बनाई, जिसका नाम अबोहोमन है।
वहीं कंगना रनौत बिनोदिनी की जिंदगी को बड़े परदे में उतारने को लेकर बहुत उत्साहित है। उन्होनें सोशल मीडिया पर बिनोदिनी दासी की फोटो शेयर करके इसकी जानकारी दी।