क्या आपको कामों को टालने की आदत है? अकसर देखा जाता है कि लोग अपने काम को बीच में छोड़कर सोशल मीडिया, अन्य वेबसाइट यहा टेलीविजन देखकर समय बर्बाद करते रहते हैं। हम यह जानते हुए भी अकसर कामों को अंत समय तक टालते रहते हैं कि इसके नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं और इससे तनाव पैदा हो सकता है। इसके बावजूद हम टालमटोल क्यों करते हैं? अनुसंधान के अनुसार, इसका कारण कई संज्ञानात्मक पूर्वाग्रह हैं।
कुछ काम में नहीं आता आनंद
रिसर्च के मुताबिक ‘‘वर्तमान समय को प्राथमिकता देने के कारण हम ऐसे काम को टालते रहते हैं, जिसे करने में हमें आनंद नहीं आता।'' यदि हमें दो विभिन्न समय में चीजों के बीच चयन करना हो, तो हम वर्तमान को भविष्य की तुलना में तरजीह देते हैं। मनोवैज्ञानिक रूप से, यदि कोई घटना भविष्य में काफी देर बाद होनी हो, तो हम उसका असर या इससे मिलने वाले प्रतिफल को उतनी गंभीरता से नहीं लेते। टालमटोल करते समय हम भविष्य के किसी सकारात्मक परिणाम के बजाय मौजूदा समय की किसी सकारात्मक गतिविधि को चुनते हैं।
दिमाग होता जा रहा है आलसी
स्टडी में छात्रों के एक समूह को दो विकल्प दिए कि वे अभी 150 डॉलर चुनेंगे या छह महीने बाद 200 डॉलर चुनेंगे, तो बड़ी संख्या में छात्रों ने 150 डॉलर चुने। हम भविष्य के बड़े लाभ की तुलना में वर्तमान के छोटे लाभ को तरजीह देते हैं। स्टडी में कहा गया है कि हमारा दिमाग आलसी होता है और वो जितना संभव हो सके, संज्ञानात्मक बोझ से उतना बचना चाहता है। यानी हम ऐसा काम करने से बचते हैं, जिससे हमारे दिमाग को काम करना पड़े।
लाभ और हानि
टालमटोल करने की प्रवृत्ति सभी मनुष्यों में देखी जाती है। यह आलसी होने की निशानी नहीं है, जैसा कि अकसर कहा जाता है। काम टालना हमेशा बुरा नहीं होता। कभी-कभी इससे हमें अनिश्चितताओं पर विचार करने के अवसर मिलते हैं। इसके साथ ही, कभी-कभी यह प्रवृत्ति असल में बाधक भी बन सकती है। इसका कारण मानसिक स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या हो सकती है और इससे निजात पाने के लिए उपचार की आवश्यकता होती है।
टालमटोल को कैसे रोकें
विलंब न करना सीखने से आपकी सभी समस्याओं का समाधान नहीं होने वाला है। लेकिन अपनी भावनाओं को नियंत्रित करने के बेहतर तरीके खोजना आपके मानसिक स्वास्थ्य और भलाई में सुधार का मार्ग हो सकता है। एक महत्वपूर्ण पहला कदम है अपने परिवेश का प्रबंधन करना और आप किसी कार्य को कितना महत्व देते हैं। कई साक्ष्य-आधारित रणनीतियाँ हैं जो आपको इस दिशा में मदद कर सकती हैं, और आपके कार्यों को व्यवस्थित कर सकती हैं ताकि वे आपको कम चिंतित करें और आप अधिक सार्थक महसूस कर सकें। उदाहरण के लिए, अपने आप को याद दिलाएं कि फलां कार्य आपके लिए महत्वपूर्ण और मूल्यवान क्यों है, इससे आप उस काम के प्रति अपनी सकारात्मक भावनाओं को बढ़ा सकते हैं।
(प्रज्ञा अग्रवाल, लोबॉरो यूनिवर्सिटी के सोल इनइक्विटीज एंड इनजस्टिस की विजिटिंग प्रोफेसर)