टीवी एक्ट्रेस सुमोना चक्रवर्ती एंडोमेट्रिओसिस नाम की बीमारी से जूझ रही हैं। उन्होंने इंस्टाग्राम पर के जरिए बताया कि वो इसकी चौथी स्टेज पर हैं और साल 2011 से इस समस्या की शिकार हैं। बता दें कि दुनियाभर में 25 -30 साल की करीब 89 मिलियन औरतें इस बीमारी की चपेट में हैं, जिसका एक कारण जागरूकता में कमी है। चलिए आपको बताते हैं कि क्या है यह बीमारी और कैसे इससे बचा जा सकता है।
सबसे पहले जानिए क्या है एंडोमेट्रिओसिस?
गर्भाशय की लाइनिंग को एंडोमेट्रियम कहते हैं और एंडोमेट्रिओसिस यूट्रस में होने वाली बीमारी है। जब यूट्रस में मौजूद ऊतक आसामान्य रूप से ओवरी, पेल्विस, बाउल, फैलोपियन ट्यूब, पेडू, अंडाशय और अन्य प्रजनन की आंतरिक परत में फैलने लगते हैं तब यह समस्या पैदा होती है। करीब 40% महिलाएं इस बीमारी के कारण गर्भधारण नहीं कर पाती।
ऐसे पहचानें एंडोमेट्रिओसिस के लक्षण
-पीरियड्स के पहले और बाद में पेट के निचले हिस्से में दर्द
-पेल्विक हिस्से में दर्द होना या मांसपेशियों में खिचाव
-पेट, पीठ के निचले हिस्से या पेडू में दर्द
-कंसीव करने में दिक्कत
-पीरियड्स में हैवी ब्लीडिंग, दर्द व ऐंठन
-यौन संबंध के दौरान दर्द
-थकान, दस्त, कब्ज, कमजोरी और उल्टी
-शरीर के अंगों में सूजन
-यूरिन पास करते समय जलन
कंसीव करने में हो सकती है दिक्कत
शरीर में कोशिकाओं के बढ़ने, रेट्रोग्रेड मेंस्ट्रुएशन, पेल्विक संक्रमण, अनुवांशिक और यूटेराइन समस्याओं के कारण इसका खतरा बढ़ जाता है। इसके कारण शरीर के प्रभावित हिस्सों में दिक्कत आ जाती है। यहां तक की यह बीमारी महिलाओं की प्रेगनेंसी में भी बाधा डालती है।
चॉकलेट सिस्ट बनना है इसका कारण
जब पीरियड्स में खून बाहर निकलने की बजाए डिम्ब नली से पेल्विक केविटी में जमा हो तो रेट्रोग्रेड मेंस्ट्रुएशन होने के कारण यह समस्या जन्म लेती है। चिपचिपा भूरे रंग का यह पदार्थ धीरे-धीरे गांठ का रूप ले लेता है, जिसे 'चॉकलेट सिस्ट' भी कहा जाता है। यही सिस्ट आगे चलकर इस बीमारी को जन्म देता है। इसके अलावा एस्ट्रोजन या अन्य हॉर्मोन थेरेपी भी इसका खतरा बढ़ा देती हैं।
एंडोमेट्रिओसिस का उपचार
टेस्ट और सोनोग्राफी के जरिए इस बीमारी का पता लगाने के बाद डॉक्टर हार्मोंनल दवाएं या महीने में एक इंजेक्शन लगाते हैं। हालांकि यह इलाज स्थाई नहीं है और इसके साइड इफेक्ट की संभावना भी रहती है। वहीं, उम्रदराज या सर्जरी करवा चुकी महिलाओं को डॉक्टर गर्भाशय और ओवरीज निकलवाने की सलाह देते हैं। इसके अलावा कई बार तीसरी और चौथी स्टेज पर भी सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।