महिलाएं किसी भी मामले में कम नही है इस बात को कुछ दिन पहले अंडर-19 विश्व कप जीतकर भारत की महिला टीम ने साबित कर दिया है। भारतीय महिला टीम की कप्तान शेफाली वर्मा ने अपनी टीम के साथ कड़ा मुकाबला खेलकर इतिहास कायम कर दिया है। कप्तान शेफाली वर्मा सिर्फ 19 साल की है उन्होंने सिर्फ 15 साल की उम्र में क्रिकेट की दुनिया में कदम रखा था। लेकिन उन्होंने क्रिकेट की दुनिया में कैसा अपना सपना पूरा किया और इस दौरान उन्हें क्या-क्या मुश्किलें आई आज आपको इसके बारे में बताएंगे...
नहीं मिला था क्रिकेट एकेडमी में दाखिला
शेफाली वर्मा का जन्म 28 फरवरी 2004 में हरियाणा के रोहतक जिले में हुआ था। उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। शेफाली के पिता संजीव वर्मा को भी क्रिकेट में काफी दिलचस्पी थी वह इंटरनेशनल क्रिकेट भी खेलना चाहते थे लेकिन उनका सपना पूरा नहीं हो पाया। परंतु पिता ने जैसे अपने बेटी में क्रिकेट खेलने के प्रति लगाव देखा तो उन्होंने शेफाली को घर पर ही ट्रेनिंग देनी शुरु कर दी। कुछ समय के बाद शेफाली के पिता को लगा कि उन्हें प्रोफेशनल ट्रेनिंग भी मिलनी चाहिए तो उन्होंने एकेडमी में एडमिशन करवाने की कोशिश की लेकिन शेफाली को किसी एकेडमी में एडमिशन नहीं मिला, क्योंकि वह एक लड़की थी।
15 साल की उम्र में की थी क्रिकेट खेलना शुरु
आपको बता दें कि शेफाली ने सिर्फ 15 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरु किया था। उन्होंने 2019 में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के जरिए डेब्यू किया था। भारत की ओर से वह महिला अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट टीम में इतनी छोटी उम्र में डेब्यू करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी हैं। इसके अलावा शेफाली अलावा ने महिला टी-20 चैलेंज में सबसे तेज अर्धशतक बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम किया है।
क्रिकेट के लिए कटवाए बाल
बेटी को किसी भी एकेडमी में एडमिशन न मिलने के कारण पिता काफी निराश हुए और लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। शेफाली को क्रिकेट सिखाने के लिए उनके पिता ने 9 साल की उम्र में उनके बाल कटवा दिए। शेफाली के पिता ने लड़कों की तरह उनके बाल कटवाए जिसके बाद वह क्रिकेट सीखने के लिए लड़कों के जैसे रहने लगी। बाल कटवाने के बाद शेफाली को एकेडमी में एडमिशन मिल गया।
रिश्तेदारों ने दी कई आलोचनात्मक टिप्पणियां
बाल कटवाने के कई सालों बाद वह एक टॉमबॉय के तौर पर क्रिकेट सीखती रही। लेकिन जैसे भारत में महिला क्रिकेट एकेडमी बनाई गई तो शेफाली को एक महिला क्रिकेट एकेडमी में दाखिला मिला था। वहां पर भी दाखिला मिलने के बाद शेफाली को रिश्तेदारों की कई सारी आलोचनात्मक टिप्पणियों को सामना करना पड़ा। लेकिन फिर भी उनके पिता ने सभी को पीछे छोड़ उन्हें क्रिकेट की ट्रेनिंग दिलवाई। साथ ही शेफाली के पिता ने पूरी मेहनत के साथ शेफाली को एक अच्छा और शानदार क्रिकेटर बनाया।