आज से 12 साल पहले मुंबई में हुए आंतकी हमले को जो भी याद करता है उसकी आंखे नम हो जाती हैं। चाहे इस हमले को 12 साल हो गए हो लेकिन इस दिन का जख्म आज भी भरा नहीं है। आज भी देश का हर वो नागरिक जो उस दिन को याद करता है उसकी आंखें नम हो जाती हैं। मुंबई में गूंजी इस आंतकी हमले की आवाज न सिर्फ मुंबई के लोगों ने सुनी बल्कि पूरी दुनिया ने इस दर्द को देखा कि कैसे आंतकी हमले में मासूमों की जान गई। तो आईए जानते हैं उस काले दिन की पूरी कहानी...
मुंबई के रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस पर की फायरिंग
मुंबई को 10 आतंकियों ने बम धमाकों और गोलीबारी से दहला दिया था और यह सारा खेल शुरू हुआ था मुंबई के रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस से जहां आतंकियों ने वहां पहुंचकर अंधाधुंध फायरिंग की और हैंड ग्रेनेड फेंके थे। इस फायरिंग में 58 बेगुनाह यात्रियों की मौत हो गई थी। जबकि कई अन्य लोग घायल हो गए थे।
इन जगहों पर चली मुठभेड़
मुंबई के रेलवे स्टेशन छत्रपति शिवाजी टर्मिनस के अलावा आतंकियों ने ताज होटल, होटल ओबेरॉय, लियोपोल्ड कैफ़े, कामा अस्पताल और दक्षिण मुंबई के कई स्थानों पर हमले किए थे। इसी दिन शहर में 4 अन्य जगहों पर मुठभेड़ चल रही थी। लेकिन सबसे दिल दहला देने वाला हमला ताज होटल में हुआ क्योंकि ताज में 450 और ओबेरॉय में 380 मेहमान मौजूद थे। ताज होटल पर हुए हमले से और उन आवाजों ने पूरी मुंबई में तहलका मचा दिया था। आज भी लोगों के सामने वो डरावनी तस्वीर आती है जब ताज होटल से वो धुंआ निकला था।
3 दिन तक आतंकियों से जूझते रहे सुरक्षा बल
इस हमले में सुरक्षा बल तीन दिन तक आतंकवादियों से जूझते रहे। इस दौरान देश दुनिया की निगाहें बस मुंबई पर ही थी। आपको बता दें कि एंटी टेररिस्ट स्क्वॉयड के चीफ हेमंत करकरे 26-11 के मुंबई हमलों में शहीद होने वाले पहले अधिकारी थे। 1982 बैच के आईपीएस अफसर थे। हमले वाले दिन हेमंत करकरे अपनी टीम के साथ सीएसटी स्टेशन पहुंचे तो वहां सिर्फ लाशें बिछी थीं। करकरे ने आतंकियों का पीछा किया और वे उन तक पहुंच भी गए। लेकिन दोनों ओर से चली गोलीबारी में करकरे के सीने में तीन गोलियां लगीं और वे शहीद हो गए। हालांकि जिस दिन ताज होटल पर हमला हुआ, उस दिन अंतरराष्ट्रीय व्यापार संघ की संसदीय समिति के कई सदस्य होटल में ठहरे हुए थे, हालांकि इनमें से किसी को कोई नुकसान नहीं हुआ।
हमले में चली गई कईं जानें
इस हमले में बहुत से बेगुनाहों की जानें चली गई और बहुत से लोगों मौत के घाट उतार दिया गया। हालांकि 26 नवंबर 2008 में लश्कर-ए-तैयबा के 10 आतंकी समुद्री रास्ते से मुंबई में दाखिल हुए भारतीय सेना ने कई आतंकियों को मार गिराया । इस दौरान आतंकियों ने कई जगह धमाके किए, आग लगाए और फायरिंग कर बंधकों को मौत के घाट उतार दिया। करीब 60 घंटे की लड़ाई के बाद सुरक्षा बलों ने 9 आतंकियों को मार गिराया, जबकि अजमल आमिर कसाब को जिंदा पकड़ा।
कसाब को दी गई फांसी
मुंबई हमले मामले की सुनवाई के बाद कसाब को 21 नवंबर 2012 को फांसी लगी दी गई।