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स्टडी का चौंकाने वाला खुलासा, पर्याप्त नींद न लेने से जल्द हो जाती है मौत

  • Edited By Anu Malhotra,
  • Updated: 25 Jun, 2021 12:58 PM
स्टडी का चौंकाने वाला खुलासा, पर्याप्त नींद न लेने से जल्द हो जाती है मौत

डॉक्टर और विशेषज्ञों का कहना है कि एक इंसान को 24 घंटों में से 8 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए।  पर्याप्त नींद लेने से बॉडी क्लॉक सही रहता है और इसका प्रभाव हमारी जीवनशैली पर बेहद अच्छा पड़ता है। लेकिन अगर रात में बेहतर नींद नहीं आती है तो  कई सारी शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो सकती है। 

पर्याप्त नींद न लेने से डिमेंशिया नामक बीमारी होने का रिस्क बढ़ जाता है-
एक रिपोर्ट के अनुसार, जो लोग रात में ठीक से नहीं सो पाते हैं या कम नींद लेते हैं उनमें डिमेंशिया नामक बीमारी होने का रिस्क बढ़ जाता है। इसके साथ ही कम नींद लेने से बॉडी क्लॉक भी खराब हो जाती है। जिसके कारण कई ऐसे कारण पैदा हो जाते हैं जो जल्दी मौत की वजह बनते हैं।

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पर्याप्त नींद लेने से हमारा न्यूरोलॉजिकल सिस्टम ठीक रहता है-
वहीं इस पर हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन इंस्ट्रक्टर रेबिका रोबिन्सन का कहना है कि स्टडी में जो तथ्य सामने आए हैं उन्हें देखते हुए रात की प्रयाप्त नींद लेने से हमारा न्यूरोलॉजिकल सिस्टम ठीक रहता है और असमय मौत का खतरा भी काफी कम हो जाता है। विश्व भर में कम नींद लेने के कारण और डिमेंशिया के कारण जल्दी होने वाली मौतों के बीच की कड़ी एक्सपर्ट्स के लिए वाकई परेशान करने वाला है। 

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45 प्रतिशत जनसंख्या के लिए कम नींद लेना काफी खतरनाक है-
वहीं, वर्ल्ड स्लीप सोसायटी का कहना है कि विश्व की 45 प्रतिशत जनसंख्या के लिए कम नींद लेना वाकई सेहत के लिए काफी खतरनाक है। रिपोर्ट के मुताबिक, 5 से 7 करोड़ अमेरिकी नागरिक स्लीप डिसऑर्डर, स्लीप एप्निया, इंसोमेनिया और रेस्टलेस लेग सिंड्रोम जैसी बीमारियों का शिकार है।

कम नींद लेने से होती है ये बीमारियां-
 सीडीएस ने इसे पब्लिक हेल्थ प्रॉब्लम करार दिया है। इसकी वजह है कि कम नींद लेने की इस समस्या का जुड़ाव शुगर, स्ट्रोक, कार्डियोवैस्कुलर बीमारियों और डिमेंशिया से भी है।


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एक्सपर्ट्स ने इस स्टडी के लिए साल 2011 से 2018 के बीच कई लोगों की स्लीपिंग हैबिट का डाटा इकट्ठा कर जांच की। जिसमें पता चला कि जिन लोगों को अनिद्रा की शिकायत थी उन्हें लगभग हर रात ऐसे परेशानियों को झेलना पड़ रहा था। 


बता दें कि जर्नल ऑफ स्लीप रिसर्च में छपी इस शोध का विश्लेषण नेशनल हेल्थ एंड एजिंग स्टडी द्वारा किया गया है।
 

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