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सोते समय बच्चे मारते हैं खर्राटे तो हो जाएं सावधान ! इस बीमारी की हो सकती है शुरुआत

  • Edited By palak,
  • Updated: 07 Jun, 2023 10:44 AM
सोते समय बच्चे मारते हैं खर्राटे तो हो जाएं सावधान ! इस बीमारी की हो सकती है शुरुआत

सोते समय खर्राटे एक ऐसी समस्या है जिससे न सिर्फ बड़े लोग बल्कि बच्चे भी जूझ रहे हैं। बहुत से लोगों का मानना है कि मोटे वयस्क और बुजुर्ग ही खर्राटे लेते हैं लेकिन आज कई सारे बच्चे इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं। बच्चों में खर्राटे लेने का कारण है कंठशूल नाम की बीमारी जिसको एडीनोइड हाइपरट्रॉफी भी कहते हैं। इस बीमारी के कारण बच्चों को सांस लेने में मुश्किल होती है। इसके अलावा उनका नाक भी बंद हो जाता है जिसके कारण वह मुंह से सांस लेने लगते हैं। नींद में बच्चों को खर्राटे आने लगते हैं। लेकिन यह समस्या क्या है और बच्चों को कैसे घेर रही है आज आपको इसके बारे में बताएंगे। तो चलिए जानते हैं....

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

एक्सपर्ट्स की मानें तो कानपुर में पांच साल में कंठशूलग्रस्त बच्चों की संख्या पांच गुणा हो गई है ज्यादातर पेरेंट्स इसको समझ नहीं पाते जिसके कारण वह बच्चों का  इलाज भी नहीं करवा पाते हैं। एक्सपर्ट्स का मानना है कि यदि आपका बच्चा खर्राटे ले रहा है तो आप थोड़े सावधान हो जाएं। लंबे समय तक एडोनाइड संक्रमण में बच्चे का कान बहना भी शुरु हो जाता है जिसके बाद बच्चों की सर्जरी भी करवानी पड़ सकती है। कानपुर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग ने इस पर एक रिपोर्ट भी तैयार की है इस रिपोर्ट के अनुसार, हर साल कंठशूल से जूझ रहे बच्चों की संख्या बढ़ती ही जा रही है।

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लड़कों में ज्यादा हो रही है ये बीमारी 

इसके अलावा लड़कियों से ज्यादा लड़कों में यह बीमारी दिख रही है जहां इस बीमारी से जूझ रहे लड़कों की संख्या 60 प्रतिशत है वहीं इसके कारण जूझ रही लड़कियों की संख्या 40 प्रतिशत है।

कैसे होते हैं एडीनोइड्स? 

एडीनोइड्स अंगूर के गुच्छे जैसी कई उभारों वाली ग्रंथि है जो नाक के पिछले हिस्से और गले से जुड़ी होती है। यह जन्म से 12 साल के उम्र में बच्चों में बढ़ जाती है जिसके बाद यह सिकुड़ने लगती है। व्यस्कों में यह बहुत ही छोटी होती है। यह संक्रमण से लड़ने में शरीर को मदद करते हुए एंटीबॉडी का उत्पादन करती हैं। 

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ऐसे फैलता है ये इंफेक्शन 

एडीनोइड्स नाक के जरिए शरीर में प्रवेश करने वाली बैक्टीरिया और वायरस को रोककर शिशुओं को इंफेक्शन से बचाती हैं। कई बार तो यह इंफेक्शन इतना घातक हो जाता है कि उसे नियंत्रित कर पाना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में एडोनाइड्स आमतौर पर बढ़ने लगते हैं। इसके कारण नाक से सांस लेने में भी परेशानी होती है और कई सारी और समस्याएं भी बढ़ने लगती हैं। 

 मुख्य लक्षण 

. नाक से सांस लेने में मुश्किल होना 

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. कान बहना 
. खर्राटे 
. बार-बार गला खराब होना 

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. निगलने में कठिनाई होना 
. गर्दन में ग्रंथियों का सूज जाना 
. होंठों का फटना

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. मुंह सूखना
. स्लीप एप्निया 

एक रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल 2022 से मार्च 2023 के बीच मेडिकल कॉलेज की ईएनटी ओपीडी में 3211 बच्चे आए, जिनमें से 1622 बच्चों की सर्जरी भी करनी पड़ी। ऐसे में यदि आपके बच्चे भी खर्राटे लेते हैं तो थोड़ा सा सावधान हो जाएं। 

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