नारी डेस्क: मायानगरी में जो भी आया अपनी जिंदगी की एक अलग ही स्टोरी बयां कर गया। ऐसे बहुत से किस्से हैं जो आए दिन सोशल मीडिया पर सुनने को मिलते हैं। बॉलीवुड इंडस्ट्री से जुड़े दिलचस्प किस्से सुनने की उत्सुकता शुरू से ही लोगों में देखी जाती रही है। चलिए एक ऐसा ही किस्सा आपको राजेंद्र कुमार की लाइफ का सुनाते हैं जिन्हें इंडस्ट्री जुबली कुमार के नाम से जानती थी। राज कपूर, दिलीप कुमार और देवानंद जैसे सुपरस्टार्स के बीच राजेंद्र कुमार ने अपनी अलग ही पहचान बनाई थी और दशकों तक राज भी किया था लेकिन अपनी जिंदगी में उन्होंने एक समय ऐसा भी देखा जब वह कंगाल हो गए थे। पैसों की तंगी में उन्हें अपना लक्की बंगला तक बेचना पड़ गया था... तो चलिए आज इस रोमांटिक हीरो के ही कुछ अनसुने किस्से आपको बताते हैं।
राजेंद्र कुमार की पर्सनेलिटी ऐसी थी कि शादीशुदा होने के बावजूद लड़कियां उन पर मरती थी। कहा तो यह भी जाता है उनमें सायरा बानो का नाम भी शामिल था। वह 2 बच्चों के पिता राजेंद्र कुमार से शादी करने के लिए अड़ गई थी हालांकि बाद में दिलीप कुमार व मां के समझाए जाने पर वह पीछे हटी थी।
सिनेमाघरों के बाहर फिल्म देखने वालों की लगती थी लाइनें
राजेंद्र की फिल्म देखने के लिए सिनेमाघरों में लंबी लाइनें लगती थी लेकिन अपने युग के पहले सुपरस्टार का खिताब जीतने वाले जुबली कुमार एक समय बिलकुल कंगाल हो गए थे। उन्हें अपना लकी बंगला भी बेचना पड़ गया था जिसके गम में वह दिन-रात रोए थे। उन्होंने अपना वो लक्की बंगला राजेश खन्ना को बेचा था। राजेंद्र कुमार को इंडस्ट्री के लोग कंजूस कहते थे। जब उनकी माली हालत खराब हुई तो उन्होंने अपना लकी बंगला राजेश खन्ना को बेचा था। जब उन्हें ये बंगला छोड़कर जाना पड़ा था, वो पूरी रात रोते रहे थे लेकिन ऐसा क्या हुआ कि लगातार कई हिट फिल्में देने के बावजूद राजेंद्र कुमार कंगाल हो गए।
50 रुपए लेकर आए थे मुंबई
पंजाब के सियालकोट में जन्में राजेंद्र कुमार का पूरा नाम राजेंद्र कुमार तुली था। उनके दादा मिलिट्री कॉन्ट्रेक्टर थे और पिता कपड़े का बिजनेस करते थे। उस समय भारत, ब्रिटिश भारत हुआ करता था लेकिन जब देश का बंटवारा हुआ तो उनका सब कुछ छीन गया, बंटवारे के बाद परिवार के साथ राजेंद्र भारत आए और यहां उनके पिता ने कपड़े का बिजनेस शुरू किया और राजेंद्र को भी पुलिस विभाग में नौकरी मिल गई लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था। उनके एक दोस्त ने उन्हें मुंबई जाकर फिल्मों में बतौर एक्टर काम करने के लिए कहा और राजेंद्र भी बचपन में ये सपने देखते थे तो फिर क्या 50 रु. लेकर वह मुंबई हीरो बनने के लिए निकल पड़े लेकिन फिल्मों में काम करने के लिए उन्हें काफी संघर्ष करना पड़ा था। उस समय उनकी जेब में सिर्फ 50 रुपए थे, जो उन्हें पिता से मिली घड़ी को बेचकर मिले थे।कहा जाता है गुजारे के लिए उन्होंने डेढ़ सौ रू. की नौकरी भी की थी।
कड़ी मेहनत के बाद उन्हें फिल्म 'जोगन' में काम करने का मौका मिला लेकिन साइड रोल में क्योंकि लीड रोल में दिलीप कुमार थे। इसके बाद वह फिल्म 'मदर इंडिया' में भी छोटे रोल मेंही नजर आए लेकिन लोगों को उनका काम बहुत पसंद आया।लेकिन कुमार की पहली लीड एकटर फिल्म 'गूंज उठी शहनाई' हिट फिल्म बन गई इसके बाद तो उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा था। 'धूल का फूल', 'मेरे महबूब', 'आई मिलन की बेला', 'संगम', 'आरजू', 'सूरज' जैसे सुपरहिट फिल्मों के चलते फैंस ने उन्हें 'जुबली कुमार' का नाम दिया क्योंकि उनकी फिल्में 25 हफ्तों तक सिनेमाघरों में चलती रहती थीं।
हिट फिल्मों के बावजूद राजेंद्र की आर्थिक हालत होने लगी थी खराब
लेकिन हिट फिल्में देने के बावजूद राजेंद्र कुमार की आर्थिक हालत खराब होने लगी। अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए राजेंद्र कुमार को अपना बंगला 'डिंपल' बेचना पड़ा था जो कि उन्होंने एक्टर भारत भूषण से 60 हजार रु. में खरीदा था। उनका ये बंगला ब्रांदा के कार्टर रोड पर समुद्र किनारे बना था। इस बंगले को नया रूप देकर उन्होंने इसका नाम अपनी बेटी 'डिंपल' का नाम दिया था। इस बंगले के आते ही राजेंद्र का करियर बुलंदियों पर पहुंच गया इसी कारण वह इस बंगले को खुद के लिए लकी मानते थे। जब राजेश खन्ना को यह बात चली कि राजेंद्र कुमार इसे बेच रहे हैं तो उन्होंने इसे तुरंत खरीदने का फैसला कर लिया था। बंगला खरीदने के बाद राजेश खन्ना ने इसका नाम 'आशीर्वाद' रख दिया। राजेश खन्ना के लिए भी यह बंगला काफी लकी साबित हुआ था। उन्होंने भी इस बंगले में शिफ्ट होने के बाद एक के बाद एक 15 हिट फिल्में दी थीं। यही वजह है कि उन्हें यह बंगला बेहद प्यारा था। उन्होंने भी अपने जीवन के आखिरी पल इसी बंगले में काटे थे।
वहीं राजेंद्र ने जब ये लकी बंगला बेचा था तो वह गम में बहुत रोए थे। इसे बेचने के बाद राजेंद्र कुमार की हालत कंगाली जैसी हो गई थी। आखिर में 12 जुलाई 1999 को कैंसर के कारण मुंबई में 69 वर्ष की उम्र में राजेंद्र कुमार का निधन हो गया। राजेंद्र कुमार जिन्होंने लगभग 80 फिल्मों में अपना अभिनय दिखाया लेकिन जीवन का आखिरी दौर उनके लिए काफी कठिनाइयों से भरा रहा हालांकि उनके चाहने वाले तो उन्हें आज भी याद करते हैं।