रक्तदान को महादान कहा जाता है। क्याेंकि इससे हम किसी को नया जीवन दे सकते हैं। ऐसे में लोगों को ब्लड डोनेट करने के प्रति प्रोत्साहित करने के लिए और इसके प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल ‘वर्ल्ड ब्लड डोनेट डे’ 2024 मनाया जाता है। हालांकि आज भी लोग खून दान करने को लेकर असमंजस में रहते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि रक्तदान से शरीर में कमजोरी आ जाती है। मगर यह धारणा सही नहीं है। असल में, इससे रोगी की जान बचने के साथ डोनर को सेहत से जुड़े कई फायदे मिलते हैं। चलिए आपको बताते हैं इसके बारे में विस्तार से और जानते हैं प्रेगनेंट महिला ब्लड डोनेट कर सकती है या नहीं।
डायबिटीज पेशेंट भी कर सकते हैं रक्तदान
हेल्थ एक्सपर्ट अनुसार, 18 से 60 वर्ष के बीच की उम्र के लोग जिनके शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा करीब 12.5 फीसदी से ज्यादा और वजन करीब 45 किलोग्राम हो वे रक्तदान कर सकते हैं। इसके साथ जिस व्यक्ति का शुगर लेवल 225 तक हो और वह इंसुलिन न लेता हो। वह ब्लड डोनेट कर सकता है। साथ ही इस व्यक्ति का खून डायबिटीज मरीज को चढ़ाया जा सकता है। एक्सपर्ट अनुसार, अगर डायबिटीज पेशेंट रक्तदान करें तो उसका जो नया खून बनेगा वह शुगर रहित होगा।
जरूरी है रक्तदान
. दुनियाभर में हर साल करीब 15 से 25 लाख यूनिट ब्लड की जरूरत पड़ती है। मगर इसमें करीब 1 लाख को भी खून नहीं मिल पाता है।
. खून दान करने से किसी की जान बचाई जा सकती है।
. खून का किसी तरह का कोई उत्पादन नहीं हो सकता है।
. रिसर्च के मुताबिक, करीब 25 फीसदी से अधिक लोगों को अपने जीवन में खून की कमी व इसे चढ़ाने की जरूरत होती है।
गर्भवती महिलाओं काे नहीं दी जाती रक्त दान करने की सलाह
वहीं अगर गर्भवती महिलाओं की बात करें तो हेल्थ एक्सपर्ट उन्हें ब्लड डोनेट नहीं करने की सलाह देते हैं। इस दौरान शारीरिक बदलाव होने से ब्लड वॉल्यूम और रेड ब्लड सेल्स बढ़ जाती हैं। इस दौरान एनीमिया का खतरा भी अधिक रहता है। गर्भवती महिलाओं को हीमोग्लोबिन और आयरन की कमी नहीं होनी चाहिए। यही कारण है कि उन्हें ब्लड डोनेट नहीं करने की सलाह दी जाती है। अगर इमरजेंसी में गर्भवती महिला को ब्लड डोनेट करना है, तो ध्यान रहे कि पहली तिमाही में तो बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए।
महिलाएं कब कर सकती हैं रक्तदान
गर्भवती होने के बाद आपको रक्तदान से तब तक ब्रेक लेना चाहिए जब तक बच्चे का जन्म नहीं हो जाता और ब्लड देने के लिए आपके पास फिर से ताकत नहीं आ जाती है। वहीं जो महिलाएं बच्चे को दूध पिलाती हैं उन्हें भी रक्तदान करने की सलाह नहीं दी जाती है। बच्चा पूरी तरह मां के दूध में मौजूद न्यूट्रिएंट्स और विटामिन्स पर ही निर्भर होता है और इसलिए यदि आप रक्तदान करती हैं तो इससे बच्चे को आवश्यक न्यूट्रिएंट्स नहीं मिल पाते हैं। एक बार जब आपके खून में आयरन की मात्रा बढ़ने लगती है और आप बच्चे को दूध पिलाना बंद कर देती हैं तो आप रक्तदान कर सकती हैं।
डॉक्टर से ले सलाह
ब्लड डोनेट करने से पहले आप डॉक्टर से चेक जरूर करवा लें कि आपका ब्लड प्रेशर, हीमोग्लोबिन स्तर, पल्स और तापमान नॉर्मल है। यदि आपका स्वास्थ्य ठीक है तो इस समय ब्लड डोनेट करने में कोई भी समस्या नहीं है। एंग्जायटी के मामलों में बेहतर यही है कि आप डॉक्टर से सलाह लें। डिलीवरी के दौरान जब डॉक्टर को लगता है कि आपको ब्लड ट्रांसफ्यूजन या खून चढ़ाने की जरूरत पड़ सकती है तो वे आपको ब्लड डोनेट करने की सलाह दे सकते हैं। यदि आपकी गर्भावस्था में अत्यधिक खतरा है तो अक्सर ऐसा किया जाता है।
रक्तदान के फायदे
. खून दान करने से दिल का दौरा पड़ने की आशंका कम रहती है।
. इससे कैंसर व अन्य बीमारियों की चपेट में आने का खतरा भी कई गुणा कम हो जाता है।
. खून में कोलेस्ट्रॉल जमा होने से बचाव रहता है।
. एक्सपर्ट अनुसार, ही जो वायरस हमारे शरीर में चले जाते हैं वे भी खून दान के समय शरीर से बाहर निकल जाते हैं।
. शरीर में नए ब्लड सेल्स बनने लगते हैं।
. बीमारियों से बचाव रहने के साथ शरीर में तंदुरुस्ती आती है।
. जो खून रक्तदान दौरान शरीर से निकाला जाता हैं वह करीब 21 दिनों में शरीर में फिर से बन जाता है।
. वजन घटाने में मदद मिलती है।