जब मुश्किलें सामने आती हैं तो अक्सर इंसान अपना रास्ता खुद ही ढूंढ लेते हैं। इस बात को सच कर दिखाया ई-रिक्शा चालक प्रज्ञा देवी ने। मिर्जापुर के प्रज्ञा अपने परिवार का पेट पालने के लिए रोज सुबह ई-रिक्शा लेकर निकलती हैं मिर्जापुर की सड़कों में। गरीबी से परेशान होकर उन्होंने ये काम करने का फैसला लिया। उन्होंने खुद ही ई रिक्शा खरीदा भी।
बचपन से ही प्रज्ञा को था बाइक चलाने का शौक
प्रज्ञा देवा को बचपन से ही बाइक चलाने का बहुत शौक था । वो महज 16 साल की थीं, जब वो दूसरे लोगों की मोटरबाइक मांग कर चलाया करती थीं। प्रज्ञा की शादी एक गरीब परिवार में हुई थी। जब शादी हुई तो पति के घर की आर्थिक स्थिति कुछ ठीक नहीं थी। पति को कभी-कभी ही काम मिलता था और वो 5 बच्चों की मां बन गई थी। गरीबी के चलते बच्चों की परवरिश में मुश्किल आ रही थी, यहां तक खाने के भी लाले पड़ रहे थे तो प्रज्ञा ने अपने परिवार की जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठाते हुए ई-रिक्शा चलना शुरू किया। जब वो पहली बार सड़क पर ई-रिक्शा ले कर चली तो लोगों ने उनका मजाक भी बनाया, कहते थे कि ये तो पुरुषों के काम है, लेकिन उन्होंने किसी की ना सुनते हुए रिक्शा चलाने का काम जारी रखा।
आर्थिक स्थिति में आया सुधार
प्रज्ञा दिन में लगभग डेढ़ से दो सौ रूपये कमा लेती हैं। कम पढ़ी-लिखी होने के बावजूद प्रज्ञा ने अपने हौसले के दम पर अपना रास्ता चुनकर अपने परिवार के लिए सहारा बनी हुईं है। गरीबी के जंजीरों की बेड़ियों की बंदिशों को तोड़ने के लिए प्रज्ञा ने अपने पैरों पर खड़े होने का फैसला लिया है। उनके इस कदम से देश की हर लड़की को हौसला मिलता है कि कुछ भी कर दिखना मुमकिन है। बस शिद्दत से अपने लक्ष्य की ओर काम करें।