हिंदू धर्म में पूर्णिमा के दिन का भी खास महत्व बताया गया है। इसके अलावा अब चल रहे महीने मार्गशीर्ष को भी बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह महीना श्रीकृष्ण को समर्पित किया जाता है। इस बार मार्गशीर्ष पूर्णिमा 26 दिसंबर यानी की कल मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने से ही सतयुग शुरु हुआ था इसलिए इस दौरान किया गया स्नान, दान और तप बहुत ही लाभकारी माना जाता है।
पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचागों की मानें तो मार्गशीर्ष महीने की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मार्गशीर्ष पूर्णिमा कहा जाता है। इस बार साल की आखिरी पूर्णिमा 26 दिसंबर को मनाई जाएगी। पूर्णिमा की तिथि इस बार 26 दिसंबर को सुबह 05:46 मिनट पर शुरु होगी और इसका समापन 27 दिसंबरयानीकी अगले दिन सुबह 06:02 पर होगा।
कैसे करें इस दिन पूजा?
मार्गशीर्ष पूर्णिमा वाले दिन जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद घर साफ करें, इस दिन घर के मुख्यद्वार पर बंधनवार जरुर लगाएं और रंगोली बनाएं। पूजा वाली जगह पर गंगाजल छिड़कें और यदि मुमकिन हो तो यहां गाय का गोबर लगाएं। इसके बाद तुलसी में कच्चा जल अर्पित करें। गंगाजल और कच्चा दूध मिलाकर भगवान विष्णु, भगवान गणेश और मां लक्ष्मी को अर्पित करें। फिर अबीर, गुलाल, चंदन, अक्षत, फूल, मौली और तुलसी की पत्तियां भगवान को चढ़ाएं। सत्यनारायरण ती कथा पढ़ें।
पूर्णिमा का खास महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, मार्गशीर्ष पूर्णिमा पर व्रत और पूजा से भगवान विष्णु की कृपा भक्तों को मिलती है। इस दिन तुलसी की जड़ की मिट्टी से पवित्र नदी, सरोवर या फिर कुंड में स्नान करें। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन किया जाने वाला दान का फल बाकी पूर्णिमा के अनुसार, 32 गुना मिलता है। इसलिए इस पूर्णिमा को बत्तीसी पूर्णिमा भी कहते हैं।
इस दिन न करें ऐसी गलतियां
. पूर्णिमा वाले दिन सुबह जल्दी उठें और सूर्योदय से पहले ही स्नान कर लें।
. इस दिन यदि संभव हो तो किसी पवित्र जगह में जाकर स्नान करें।
. यदि आप पूर्णिमा पर उपवास कर रही हैं तो श्रद्धा, साफ-सफाई के साथ करें।
. इस दिन प्याज, लहसुन, मांस, मछली, शराब आदि का सेवन न करें।
. यदि उपवास कर रहे हैं तो दोपहर में भूलकर भी न सोएं।
. किसी योग्य ब्राह्मण को भोजन और जरुर वस्तुओं का दान करें।