भारत में हर त्योहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। ऐसे में लोहड़ी के अगले दिन मकर संक्रांति में लोग चिक्की, खिचड़ी, हलवा आदि खाने के साथ पतंग उड़ाने का मजा लेते हैं। ऐसे में बाजार भी रंग-बिरंगी पतंगों से भरा बेहद ही खूबसूरत नजर आता है। बच्चे, बड़े सभी मिलकर अपने घरों की छत या खुली जगह पर पतंग उड़ाते हैं। माना जाता है कि इससे जीवन में खुशी, आजादी, एकता व नई सोच का अनुभव होता है। मगर खुशी के साथ इस शुभ अवसर पर पतंग उड़ाने के पीछे धार्मिक व वैज्ञानिक संबंध माना जाता है। तो चलिए जानते हैं पतंग उड़ाने से जुड़ी कुछ खास बातें...
धार्मिक और ऐतिहासिक कारण
इस दिन पतंग उड़ाने के पीछे धार्मिक और ऐतिहासिक कारण भी है। कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम ने मकर संक्रांति के शुभ दिन पर पतंग उड़ाई थी। साथ ही उनकी पतंग इंद्रलोक तक पहुंची थी। उसी दिन से इस शुभ अवसर पर पतंग उड़ाने की परंपरा शुरू हो गई।
देती है प्यार का संदेश
पतंग उड़ाने से खुशी का अहसास होने के साथ यह हमें एकता, प्यार, आजादी का शुभ संदेश भी देती है। माना जाता है कि इस दिन से शुभ काम शुरू किए जाते हैं। ऐसे में सभी काम पतंग की तरह सुंदर, साफ और ऊंचाई को छुए इसकी कामना की जाती है।
नई सोच की भावना
इससे व्यक्ति के अंदर आत्मविश्वास व नई सोच की भावना आती है। असल में, पतंग उड़ाते समय दिल को खुश और दिमाग को एकदम बैलेंस रखना होता है। ताकि पतंग कटने से बच सके। ऐसे में खुद को ऊंचाइयों तक ले जाने के लिए व्यक्ति के अंदर नई सोच व प्रेरणा का संचार होता है।
सूरज की रोशनी पाने के लिए
मकर संक्रांति को सूर्य देव की पूजा होती है। ऐसे में इस दिन सूर्य की रोशनी लेने से विटामिन-डी मिलता है। इससे सर्दी, खांसी, जुकाम आदि मौसमी बीमारियों से बचाव रहता है। इसके लिए लोग घंटों छत या खुली जगह पर पतंग उड़ाते हैं।
बीमारियों से बचाव
इन दिन सूर्य में रहने से मौसमी बीमारियों से बचाव रहने के साथ हड्डियों में मजबूती आती है। साथ ही स्किन से जुड़े परेशानियां भी दूर होने में मदद मिलती है।
एकता का पाठ
अकेले पतंग उड़ाने में किसी को भी मजा नहीं आता है। ऐसे में हर कोई इसके लिए साथी की तलाश करता है। इस तरह एक-दूसरे का साथ मिलने पतंग ऊंचाई तक पहुंचाने में मदद मिलती है। ऐसे में छोटी सी पतंग हर किसी को एकजुट रहने यानी एकता का पाठ पढ़ाती है। इस खेल से लोग प्यार से हार-जीत का मतलब जानते हुए सहनशीलता का पाठ सीखते हैं।
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