सूर्य देव हर मास अलग राशि में प्रवेश करते हैं। इसे संक्रांति कहा जाता है। वहीं जब वे धनु राशि से मकर में गोचर करते हैं इसे मकर संक्रांति कहते हैं। भले ही सालभर में कुल 12 संक्रांतियां आती हैं। मगर फिर भी मकर संक्रांति का विशेष महत्व माना जाता है। यह हर साल 14-15 जनवरी को पड़ती है। इस तिथि को देशभर में अलग-अलग नामों से जाना व मनाया जाता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
उत्तर भारत में मकर संक्रांति/ खिचड़ी
उत्तर भारत में मकर संक्रांति को खिचड़ी के नाम से जाना व मनाया जाता है। पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड आदि जगहों पर मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी का दान इसे खाने का विशेष महत्व है। इस दिन गोरखनाथ मंदिर में खिचड़ी चढ़ाने की प्रथा होने पर लोग खासतौर पर खिचड़ी का प्रसाद बनाकर चढ़ाते हैं। बता दें, इसी शुभ दिन से प्रयागराज में माघ मेला और कल्पवास भी शुरू होता है।
मकर संक्रांति/ पौष संक्रांति
पौष माह में संक्रांति पड़ने के कारण पश्चिम बंगाल में मकर संक्रांति को पौष संक्रांति के नाम से मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर देशभर से लोग गंगासागर में स्नान करने आते हैं। लोग पानी में डूबकी लगाकर भगवान सूर्यदेव को जल चढ़ाते हैं। इसके साथ ही इन दिन गरीबों, बेसहारा लोगों को काले तिल का दान देने का भी विशेष महत्व है।
गुजरात में मकर संक्रांति/ उत्तरायण
ज्योतिषशास्त्र अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य दक्षिणायन की अपनी यात्रा समाप्त करते हुए उत्तरायण दिशा में प्रवेश करते व चलने लगते हैं। इसलिए गुजरात में मकर संक्रांति को उत्तरायण रे रूम में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन पतंग उड़ाने की परंपरा होने पर लोग पतंगबाजी का खूब लुत्फ उठाते हैं।
दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में मकर संक्रांति/ मकर संक्रमण
दक्षिण भारत के कर्नाटक राज्य में मकर संक्रांति को मकर संक्रमण के रूप में मनाने की प्रथा है। सूर्य देव जब एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं तो वह काल संक्रामण काल कहलाता है। ज्योतिषशास्त्र अनुसार, भगवान सूर्य देव 14-15 जनवरी को धनु राशि से निकलकर मकर राशि में गोचर यानि प्रवेश करते हैं। ऐसे में कर्नाटक में इसे मकर संक्रमण के नाम से बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। इसके साथ ही इस दिन पूजा, पाठ, दान और स्नान करने का भी महत्व है।
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में मकर संक्रांति/ बिहू
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों खासतौर पर असम में मकर संक्रांति को बिहू के नाम से बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इस दिन को लोग नई फसलों के पकने की खुशी के तौर पर मनाते हैं। इस दिन को लोग नाचते-गाते हुए एक-दूसरे को बधाई देते हुए मनाते हैं। इसके साथ विशेष भोजन तैयार किया जाता है।
तमिलनाडू में मकर संक्रांति/ पोंगल
तमिलनाडू में मकर संक्रांति को पोंगल नाम से मनाते हैं। इस शुभ दिन पर लोग भगवान सूर्य की पूजा करते हैं। इसके साथ ही उन्हें भोग स्वरूप खीर चढ़ाई जाती है।
दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति/ लोहड़ी
दिल्ली, पंजाब और हरियाणा में मकर संक्रांति के एक दिन पहले लोहड़ी का त्योहार मनाया जाता है। इसे नई फसलों की खुशी में मनाया जाता है। इस दिन लोग एक साथ लोहड़ी जलाकर साग, रोटी, रेवड़ी, मूंगफली, गजक आदि खाते हैं।
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