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बार- बार गिर जाते हैं घर के बुजुर्ग ? तो इस तरह चोट लगने के रिस्क से बचाएं उन्हें

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 06 Sep, 2024 09:14 AM
बार- बार गिर जाते हैं घर के बुजुर्ग ? तो इस तरह चोट लगने के रिस्क से बचाएं उन्हें

नारी डेस्क: उम्र बढ़ने के साथ-साथ कई तरह की परेशानियां भी बढ़ जाती है।  आमतौर पर देखा जाता है कि घर के बुजुर्ग कभी बाथरूम में फिसल जाते हैं या फिर चलते-चलते सड़क पर गिर जाते हैं। बुजुर्गों के बार-बार गिरने के पीछे कई शारीरिक और स्वास्थ्य संबंधी कारण हो सकते हैं। उम्र के साथ मांसपेशियों की कमजोरी, संतुलन की कमी, और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं बुजुर्गों में गिरने का जोखिम बढ़ा देती हैं। बार-बार गिरने से न केवल शारीरिक चोटें हो सकती हैं, बल्कि आत्मविश्वास में कमी और मानसिक तनाव भी उत्पन्न हो सकता है। गिरने के कारणों को समझना और उनकी सेहत का ख्याल रखना बहुत जरूरी है।

 बुजुर्गों के गिरने के मुख्य कारण

मांसपेशियों की कमजोरी 

 उम्र के साथ मांसपेशियों की ताकत और लचीलापन कम हो जाता है। इससे चलते समय संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो जाता है, और बुजुर्गों के गिरने की संभावना बढ़ जाती है।
   
संतुलन और समन्वय की समस्या

मस्तिष्क और तंत्रिका तंत्र में उम्र के साथ होने वाले बदलाव से संतुलन और समन्वय में समस्या हो सकती है। इससे चलते या उठते समय असंतुलन महसूस होता है, और गिरने का खतरा बढ़ जाता है।

जोड़ों की समस्या 

गठिया (Arthritis) या जोड़ों में सूजन, दर्द, और जकड़न चलते समय संतुलन बिगाड़ सकते हैं। घुटने और कूल्हे के जोड़ों में दर्द के कारण बुजुर्ग चलने में परेशानी महसूस करते हैं।

दृष्टि संबंधी समस्याएं 

दृष्टि कमजोर हो जाने से रास्ता साफ़ नहीं दिखता, और यह गिरने का प्रमुख कारण हो सकता है। मोतियाबिंद या ग्लूकोमा जैसी आंखों की बीमारियां भी इसका कारण हो सकती हैं।

लो ब्लड प्रेशर (Low Blood Pressure)

अचानक से खड़े होने पर ब्लड प्रेशर में गिरावट हो सकती है, जिससे चक्कर आना और संतुलन खोना संभव होता है। इसे ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन  कहा जाता है।

दवाइयों का प्रभाव 

बुजुर्गों द्वारा ली जाने वाली कुछ दवाइयों के कारण चक्कर आना, थकान, या मांसपेशियों की कमजोरी हो सकती है, जिससे गिरने का जोखिम बढ़ता है। विशेष रूप से, उच्च रक्तचाप, नींद की गोलियां, या एंटी-डिप्रेसेंट्स का प्रभाव हो सकता है।

कमजोर हड्डियां

ऑस्टियोपोरोसिस जैसी स्थितियां हड्डियों को कमजोर बना देती हैं, जिससे मामूली गिरावट भी गंभीर चोट का कारण बन सकती है।

बुजुर्गों की सेहत का ध्यान कैसे रखें

नियमित व्यायाम और फिजियोथेरेपी

मांसपेशियों को मजबूत बनाने और संतुलन में सुधार करने के लिए बुजुर्गों को नियमित हल्का व्यायाम कराना जरूरी है। योग और ताई ची जैसी गतिविधियां संतुलन और लचीलापन बढ़ाने में मदद कर सकती हैं।फिजियोथेरेपी भी संतुलन सुधारने और गिरने से बचने में सहायक हो सकती है।

घर में सुरक्षा उपाय

 घर के फर्श पर बिछाई गई कालीन या गलीचे को फिसलने से रोकने के लिए अच्छी तरह से फिट करें। बाथरूम और सीढ़ियों के पास हैंडल बार्स (हैंडरेल) लगाएं ताकि संतुलन बनाए रखने में मदद मिले।  घर में रोशनी का उचित प्रबंध करें ताकि रात में या कम रोशनी में भी बुजुर्गों को रास्ता साफ दिखे।

नियमित स्वास्थ्य जांच

बुजुर्गों को नियमित रूप से डॉक्टर से मिलकर उनके ब्लड प्रेशर, आंखों की जांच, हड्डियों की मजबूती, और दवाइयों के साइड इफेक्ट्स की जानकारी लेनी चाहिए। विटामिन डी और कैल्शियम सप्लिमेंट्स से हड्डियों को मजबूत रखने में मदद मिल सकती है।

हेल्थी डाइट

पोषक तत्वों से भरपूर आहार बुजुर्गों की मांसपेशियों और हड्डियों को मजबूत बनाए रखने में मदद करता है। आहार में कैल्शियम, विटामिन डी, प्रोटीन, और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्वों का समावेश करें।

दवाओं का सही उपयोग

दवाइयों के संभावित साइड इफेक्ट्स के बारे में डॉक्टर से सलाह लें। अगर कोई दवा बुजुर्गों में कमजोरी या चक्कर का कारण बन रही हो, तो डॉक्टर से इसके बारे में चर्चा करें और दवाइयों की खुराक या प्रकार बदलवाएं।

फुटवियर का सही चुनाव

 बुजुर्गों को आरामदायक और सही साइज का फुटवियर पहनना चाहिए, जिससे चलने में सुविधा हो और फिसलने का खतरा कम हो।
 

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