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इन पोजीशन में ब्रेस्टफीडिंग कराने से कम्फर्ट फील करेगा बच्चा, लेटकर दूध पिलाना सही या गलत?

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 06 Sep, 2024 08:59 AM
इन पोजीशन में ब्रेस्टफीडिंग कराने से कम्फर्ट फील करेगा बच्चा, लेटकर दूध पिलाना सही या गलत?

नारी डेस्क: ब्रेस्टफीडिंग कराते समय सही पोजीशन का चुनाव न केवल मां के लिए आरामदायक होता है, बल्कि शिशु के लिए भी सुरक्षित और सुविधाजनक होता है। सही पोजीशन चुनने से बच्चे को सही मात्रा में दूध मिलता है, और मां को किसी प्रकार की असुविधा या दर्द का सामना नहीं करना पड़ता। ब्रेस्टफीडिंग कराने की कुछ प्रमुख पोजीशन और बच्चे की उम्र के अनुसार लेटकर दूध पिलाने की जानकारी नीचे दी गई है:

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क्रैडल होल्ड (Cradle Hold)

यह सबसे सामान्य और पारंपरिक पोजीशन है। इसमें मां बैठकर शिशु को अपने एक हाथ की कोहनी पर सहारा देती हैं और दूसरे हाथ से शिशु को संतुलित करती हैं। शिशु का सिर मां के ब्रेस्ट के करीब रहता है और उसकी बॉडी मां के सीने से सटकर होती है। यह नवजात शिशुओं के लिए उपयुक्त है, खासकर जब मां और शिशु दोनों को ब्रेस्टफीडिंग की आदत हो रही हो।

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क्रॉस क्रैडल होल्ड (Cross-Cradle Hold)

 इस पोजीशन में शिशु को ब्रेस्ट के विपरीत हाथ से सहारा दिया जाता है। अगर शिशु दाएं ब्रेस्ट से दूध पी रहा है, तो मां बाएं हाथ से शिशु के सिर को पकड़ती है।    - यह पोजीशन शिशु को सही तरीके से लॅच (Latch) करने में मदद करती है और छोटे शिशुओं के लिए उपयुक्त होती है।

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फुटबॉल होल्ड (Football Hold)

इस पोजीशन में शिशु को माँ की बांह के नीचे रखा जाता है, जैसे फुटबॉल पकड़ी जाती है। शिशु की बॉडी मां के बाजू के नीचे होती है और सिर ब्रेस्ट के करीब। यह पोजीशन सिजेरियन डिलीवरी के बाद मां के लिए आरामदायक होती है या जब मां के स्तनों में दूध ज्यादा हो, जिससे सही लॅचिंग में मदद मिलती है।

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साइड-लाइंग होल्ड (Side-Lying Hold)

 इस पोजीशन में मां और शिशु दोनों बिस्तर पर लेटे होते हैं। मां अपने एक हाथ से शिशु को सहारा देती है और शिशु की बॉडी को अपने करीब लाकर ब्रेस्टफीडिंग कराती है। यह पोजीशन रात में या जब मां थकी होती है, तब आरामदायक होती है। 

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रिलेइंग बैक होल्ड (Laid-Back Position)

इस पोजीशन में माँ थोड़ा पीछे की ओर झुकी होती है और शिशु उसके पेट पर रखा होता है। शिशु खुद से ब्रेस्ट तक पहुंचता है और दूध पीता है। यह पोजीशन तब सही होती है, जब शिशु खुद से ब्रेस्ट तक पहुंचने की कोशिश करता है। यह नवजात शिशु के लिए भी आरामदायक होती है।

 किस उम्र के बच्चे को लेटकर दूध पिला सकते हैं?

साइड-लाइंग पोजीशन में शिशु को लेटकर दूध पिलाना एक सुरक्षित विकल्प है, लेकिन इसे तब अपनाना चाहिए जब शिशु की गर्दन और सिर को सहारा देने की क्षमता हो। आमतौर पर, यह तब संभव होता है जब शिशु की उम्र 2-3 महीने हो जाती है, क्योंकि तब उसकी मांसपेशियां थोड़ी मजबूत हो जाती हैं। नवजात शिशु के लिए लेटकर दूध पिलाने से बचना चाहिए, क्योंकि इस अवस्था में उनके सिर और गर्दन को सही सहारा देने की आवश्यकता होती है, जो लेटकर पिलाने से संभव नहीं हो पाता।
  
लेटकर दूध पिलाने से बचने के कारण

-लेटकर दूध पिलाने से शिशु सही तरीके से लॅच नहीं कर पाता है, जिससे उसे पर्याप्त दूध नहीं मिल सकता।
-अगर शिशु को सही तरीके से न लिटाया जाए, तो दूध उसके कान में जा सकता है, जिससे कान में संक्रमण होने की संभावना बढ़ जाती है।
-अगर मां के दूध का फ्लो बहुत तेज है, तो लेटकर पिलाने से शिशु को दूध निगलने में परेशानी हो सकती है, जिससे वह घुट सकता है।

 किन बातों का ध्यान रखें

- शिशु को सही तरीके से लॅच करना बहुत जरूरी है ताकि वह आसानी से दूध पी सके।
- अगर मां को किसी पोजीशन में असुविधा होती है, तो उसे बदलना चाहिए।
- शिशु के सिर और गर्दन को हमेशा सही सहारा देना चाहिए, खासकर जब वह छोटा हो।
-सही पोजीशन का चुनाव मां और शिशु के आराम और स्वास्थ्य के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
 

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