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Navratri Special: अच्छा वर पाने के लिए कुवांरी लड़कियां करती हैं महागौरी की पूजा

  • Edited By Anjali Rajput,
  • Updated: 19 Apr, 2021 09:28 PM
Navratri Special: अच्छा वर पाने के लिए कुवांरी लड़कियां करती हैं महागौरी की पूजा

नवरात्रि के 8वें दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की पूजा की जाती है। देवी महागौरी की विधि-विधान और सच्चे मन से पूजा अर्चना करने पर व्यक्ति के सभी पाप और दुःख नष्ट हो जाते हैं। करूणामयी, स्नेहमयी, शांत और मृदुल प्रवृति वाली महागौरी अपने भक्तों को कभी अपने दर से निराश नहीं लौटाती हैं। कुवांरी लड़कियां अच्छा वर पाने के लिए महागौरी की पूजा करती हैं।

देवी महागौरी की जन्मकथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की, जिसकी वजह से उनका शरीर काला पड़ जाता है। तब भगवान शिव उनकी तपस्या को स्वाकार करके गंगा-जल से उन्हें स्नान करवाते हैं। इससे देवी का शरीर त्यंत कांतिमान गौर वर्ण हो जाता है। तभी से मां दुर्गा का नाम महागौरी पड़ गया। मां गौरी की दाईं भुजा अभय मुद्रा में हैं और नीचली बाईं भुजा से मां भक्तों को आशीर्वाद देती हैं। वहीं मां ने। नीचली दाईं भुजा में त्रिशूल, बाई भुजा में डमरू पकड़ा हुआ है।

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जब भूखे शेर को बनाया वाहन

कथा अनुसार, एक बार भूखा शेर भोजन की तलाश में मां उमा के पास पहुंचा। देवी को देख सिंह की भूख बढ़ गई लेकिन जब उसने देखा कि मां तपस्या कर रही है तो वो वहीं बैठकर इंतजार करने लगा। तपस्या पूरी होने के बाद जब देवी ने सिंह को देखा तो उन्हें दया आई और उन्होंने उसे अपना वाहन बना लिया। इसलिए महागौरी का वाहन बैल और सिंह दोनों माने जाते हैं।

महागौरी की पूजा विधि

सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर महागौरी की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद सफेद कपड़ा बिछाकर महागौरी यंत्र रखकर मंत्र “सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।” का जाप करें। इसके बाद हाथों में सफेद फूल लेकर मां का ध्यान करें।

अन्यकथा भी है प्रचलित

ऐसी कथा भी है कि शुंभ-निशुंभ और रक्तबीज का संहार करने के बाद माता ने अपने स्वास्थ्य और स्वरूप को पुन: प्राप्त करने भगवान शिव की अराधना की। तब तपस्या के बाद मां के शरीर से उनका श्याम रंग अलग हो गया और मां कोशिकी की उत्पत्ति हुई इसलिए महागौरी मां को शिवा भी कहा जाता है।

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अष्टमी के दिन कर रहे हैं कन्या पूजन तो...

कुछ लोग अष्टमी के दिन भी कन्या पूजन करते हैं। ध्यान रखें कि कन्या पूजन में कंजकाओं की संख्या 9, 7, 5 या 2 होनी चाहिए। कन्याओं की उम्र 10 साल से अधिक न हो। भोजन कराने के बाद कन्याओं को दक्षिणा जरूर दें। इसके साथ ही गरीब कन्याओं को भोजन जरूर करवाएं।

कैसे करें मां को प्रसन्न

अष्टमी के दिन महिलाएं सुहाग की लंबी आयु के लिए देवी मां को चुनरी भेंट करें। इन्हें गुलाबी रंग अतिप्रिय है इसलिए इस दिन गुलाबी कपड़े पहनें। साथ ही मां को गुलाबी फूल, मिठाईयां चढ़ाने से आपको शुभफल मिलेगी। माता को नारियल का भोग लगाना और ब्राह्मण को नारियल दान देने से नि:संतानों की मनोकामना पूरी होती है।

महागौरी का ध्यान मंत्र

वन्दे वांछित कामार्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा महागौरी यशस्वनीम्॥
पूर्णन्दु निभां गौरी सोमचक्रस्थितां अष्टमं महागौरी त्रिनेत्राम्।
वराभीतिकरां त्रिशूल डमरूधरां महागौरी भजेम्॥
पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर किंकिणी रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वंदना पल्ल्वाधरां कातं कपोलां त्रैलोक्य मोहनम्।
कमनीया लावण्यां मृणांल चंदनगंधलिप्ताम्॥

महागौरी का स्तोत्र पाठ

सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥

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