दाे साल के लंबे इंतजार के बाद महाराष्ट्र में दही हांडी की धूम देखने को मिली। कोविड-19 महामारी के कारण पिछले दो वर्ष से इसका आयोजन नहीं हो पाया था, ऐसे में इस बार लोगों के बीच एक अलग ही जोश देखने को मिला। हालांकि इस दौरान कई लोगों के घायल होने की खबर भी सामने आई है।
दही हांडी जन्माष्टमी उत्सव का हिस्सा है। इस दौरान दही से भरी मटकी रस्सियों के सहारे बीच में लटकी होती है, जिसे मानव पिरामिड बनाकर तोड़ा जाता है। यह त्योहार मुंबई महानगरीय क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर मनाया जाता है।
मुंबई की मशहूर दही हांडी का खूब हो-हल्ला रहा। हर तरफ गोपालों की टोलियां ऊंची-ऊंची दही हांडी तोड़ने की कोशिश करते दिखाई दिए। क्या बच्चे और क्या बड़े हर कोई कान्हा के रंग में रंगा दिखाई दिया।
दही हांडी में हिंदी फिल्मों के गीत ना बजे ऐसा तो हो नहीं सकता। 'गोविंदा आला रे' से लेकर 'गो गो गोविंदा' जैसे हिंदी फिल्मों के गीतों ने ही दही हांडी कार्यक्रमों को देशभर में लोकप्रिय बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यह गीत दही हांडी कार्यक्रमों में हिस्सा लेने वाले युवाओं का जोश और उत्साह बढ़ाने का काम करते हैं।
'गोविंदा आला रे' भगवान श्रीकृष्ण की अराधना करने वाला यह गीत आज भी बेहद लोकप्रिय है। महानायक अमिताभ बच्चन पर फिल्माया गया "खुद्दार"(1982) फिल्म का गीत "मच गया शोर सारी नगरी रे" महाराष्ट्र के अलावा देश के अन्य हिस्सों में आयोजित होने वाले दही हांडी कार्यक्रमों में आज भी पूरे जोश और उत्साह के साथ बजाया जाता है।
वहीं, अभिनेता जैकी श्रॉफ की फिल्म काला बाजार(1989) का गीत "आला रे आला गोविंदा आला" ने भी दही हांडी कार्यक्रमों की लोकप्रियता को बढ़ाने में काफी अहम भूमिका निभाई है। यह कहना गलत नहीं होगा कि इन गीतों के बिना दही हांडी का कार्यक्रम बेहद फीका है।