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ससुराल वालों को लेकर कोर्ट की सख्त टिप्पणी- अपनी शांति के लिए बहू को नहीं कर सकते बेघर

  • Edited By vasudha,
  • Updated: 21 Mar, 2024 10:59 AM
ससुराल वालों को लेकर कोर्ट की सख्त टिप्पणी- अपनी शांति के लिए बहू को नहीं कर सकते बेघर

कई बार लड़की द्वारा हरसंभव कोशिश करने के बाद भी कुछ ससुराल वाले उससे खुश नहीं होते हैं। कई बार तो एक छोटी से बात को लेकर सास- ससुर द्वारा घर से बहू से निकाल दिया जाता है। ऐसे ही लोगों को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट ने सख्त टिप्पणी की है। कोर्ट का कहना है कि सास-ससुर की मानसिक शांति के लिए बहू को बेघर करना अपराध है।

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 महिला ने दी ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती 

दरअसल एक महिला ने उसे घर से बेदखल करने वाले ट्रिब्यूनल के आदेश को चुनौती दी थी। माता-पिता और वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण अधिनियम के तहत गठित मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल (भरण-पोषण न्यायाधिकरण) द्वारा पारित एक आदेश को लेकर कोर्ट ने साफ कहा कि पति द्वारा अपने माता-पिता की मिलीभगत से उसे घर से बाहर निकालने के लिए मेंटेनेंस ट्रिब्यूनल का दुरुपयोग किया जा रहा है। 

 

 महिला के  पास नहीं है कोई घर

इसके सथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि वरिष्ठ नागरिक अपने घर में शांति के साथ रहने के हकदार हैं, लेकिन किसी कानून का उपयोग महिला के अधिकार को पराजित करने के उद्देश्य से नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा- महिला के  पास रहने के लिए कोई अन्य जगह नहीं है, इसलिए, वरिष्ठ नागरिकों की मानसिक शांति सुनिश्चित करने के लिए उसे बेघर नहीं किया जा सकता है।

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सास ने निकाला घर से बाहर

दरअसल याचिकाकर्ता और उसके पति के बीच काफी समय से अनबन चल रही थी। वह जिस घर में रह रही थी वो उसकी सास के नाम था, ऐसे में उन्होंने पति- पत्नी को यह घर छोड़ने के लिए कहा। हालांकि पति घर से नहीं निकला 18 सितंबर 2023 को ट्रिब्यूनल ने महिला को घर खाली करने का आदेश दे दिया। 6 महीने बाद भी पति ने पत्नी के रहने का इंतजाम नहीं किया है। इसे देखते हुए जस्टिस मारने ने ट्रिब्यूनल के आदेश पर 6 महीने के लिए रोक लगाकर महिला को अंतरिम राहत प्रदान की है।

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कोर्ट ने दिया ये आदेश

महिला के अनुसार, मौजूदा मामले में उसे घर से बाहर करने के लिए सीनियर सिटीजन ट्रिब्यूनल मशीनरी का दुरुपयोग हुआ है। उसके पिता की मौत हो चुकी है, उसके पास  रहने के लिए कोई घर नहीं है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा- ट्रिब्यूनल का यह आदेश महिला के धारा 17 के अधिकार को कुंठित करता है और डीवी ऐक्ट की राहत को बाधित करता है। महिला संयुक्त परिवार में रहती थी, इसलिए उसे असहज स्थिति में नहीं डाला जा सकता। महिला के आवास के अधिकार को सुरक्षा देना जरूरी है।

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