पाकिस्तान में पत्रकारों व मानवाधिकारों कार्यकर्ताओं पर बढ़ रहे हमलों को लेकर चिंता बढ़ती रही है। पाक में लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया पर काफी दवाब बनाए जा रहे हैं। इसे लेकर हाल ही में पाकिस्तान, पंजाब प्रांतीय विधानसभा में एक पस्ताव पेश किया गया है, जिसमें देशभर के पत्रकारों व अधिकार कार्यकर्त्ताओं पर हुए हमलों पर निंदा की गई है।
जुगनू मोहिसन ने पेश किया निंदा प्रस्ताव पत्र
डॉन के मुताबिक, यह प्रस्ताव पत्र विधानसभा के स्वतंत्र सदस्य जुगनू मोहिसन ने पेश किया है। इस पत्र में जुगनू ने राज्य का ध्यान उन मुद्दों पर आकर्षित किया है, जिसमें पत्रकारों पर हमलों व हत्या की घटनाओं का जिक्र है।
स्वतंत्र प्रैस जरूरी
उन्होंने कहा कि पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्त्ताओं पर हमले होना कोई नई बात नहीं है। ऐसा हमले बहुत बार हो चुके हैं। इसके साथ ही उन्होंने पत्रकार असद अली तूर पर हाल ही में हुए हमले पर भी चर्चा की। साथ ही उन्होंने हामिद मीर का शे पर प्रतिबंध के बारे में भी बात की। जुगनू ने पाकिस्तान तहरीक - ए- इंसाफ (P.T.I.) को संबोधित करते हुए कहा कि कल आप विपक्ष में हो सकते हैं और आपको भी एक स्वतंत्र प्रैस की जरूरत होगी।
हर साल मारे जाते हैं कई पत्रकार
IFJ के अनुसार, पाकिस्तान में हर साल कम से कम 40 पत्रकार व मीडियाकर्मी को अपने काम के कारण जान गवांनी पड़ती है। आंकड़ों की मानें तो यहां पिछले 3 दशकों से 2,658 पत्रकार अपनी जान गवां चुके हैं।
भारत में भी स्थिति चिंताजनक
इस मामले में भारत भी पकिस्तान से ज्यादा पीछे नहीं है। आंकड़ों के मुताबिक, भारत में साल 2020 में कम से कम 3 पत्रकारों के मारे जाने की खबर मिली थी जबकि अफगानिस्तान, नाइजीरिया, ईराक में भी इतने ही पत्रकार मारे गए।
पाक व भारत में कितना आजाद मीडिया?
आंकड़ों के अनुसार, भारत व पाकिस्तान में मीडिया की आजादी एक जैसी है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स की प्रेस फ्रीडम इंडेक्स के अनुसार मीडिया फ्रीडम के मामले में 173 देशों की लिस्ट तैयार की गई है, जिसमें भारत 142वें और पाकिस्तान 145वें नंबर है।