दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीट के रूझान में भाजपा उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। जहां उत्तर पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट पर मनोज तिवारी 79,000 से अधिक मतों के अंतर से आगे हैं। वहीं नयी दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में भाजपा की बांसुरी स्वराज 27,136 मतों से आगे हैं। पूर्व केंद्रीय मंत्री सुषमा स्वराज की बेटी बांसुरी स्वराज की सीट पर सभी की निगाहें टिकी हुई थी। चलिए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से।
सुषमा स्वराज की इकलौती बेटी बांसुरी स्वराज पेशे से वकील हैं। उन्होंने इंग्लैंड की University of Warwick से अंग्रेजी साहित्य में स्नातक की डिग्री हासिल की है। इसके अलावा उन्होंने लंदन के बीपीपी लॉ स्कूल से कानून की डिग्री भी हासिल की है। पिछले साल बांसुरी को भाजपा के दिल्ली प्रदेश के विधि प्रकोष्ट का प्रदेश सह-संयोजक नियुक्त किया गया था। हालांकि लोकसभा की टिकट मिलने पर उनका काफी विरोध किया गया था।
बांसुरी स्वराज का नाम आने के बाद दिल्ली में आप की नेत आतिशी ने कई सवाल उठाते हुए बीजेपी को अपना उम्मीदवार बदलने को कहा था। उन्होंने कहा था कि बीजेपी ने ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया है जो बार-बार कोर्ट में देशहित के ख़िलाफ़ खड़ी रही हैं, देश के विरोधियों का बचाव करती रही हैं। दरसअल सुष्मा स्वराज की बेटी रियल एस्टेट, कांट्रेक्ट और टैक्स आदि से जुड़े कई आपराधिक मामलों में अपना योगदान दे चुकी है।
वहीं अपनी उम्मीदवारी पर बांसुरी स्वराज ने कहा था कि दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार से त्रस्त है और अगर भारत और दिल्ली की जनता उन्हें चुनकर लाती है, तो वे पुरज़ोर तरीके से इस मुद्दे को संसद में उठाएंगी। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने अपनी मां के संस्कारों को ख़ुद का अंश बताया था। वहीं कुछ लोगों का भी मानना है बांसुरी में उनकी मां सुषमा की झलक दिखाई देती है। यह भी उनकी जीत का एक बड़ा कारण हो सकता है। 2019 में सुषमा स्वराज के निधन के दौरान बांसुरी ने ही सारे अंतिम रीति रिवाज निभाए थे, ऐसे में उनकी हिम्मत की खूब तारीफ हुई थी।
बासुंरी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि मैंने अपनी मां से निडर होना होना सीखा। साथ ही ये भी जाना कि हमें अपना सर्वश्रेष्ठ देकर बाकी सब भगवान पर छोड़ देना चाहिए., खासकर भगवान कृष्ण पर इससे आपकी लाइफ आसान हो जाती है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि- उन्हें सिर्फ अपनी मां की वजह से ही राजनीति में आने का मौका नहीं मिला। उन्होंने कहा- मेरी मां एक जन प्रतिनिधि थीं, इसका मतलब यह नहीं है कि राजनीति मेरे लिए नहीं है। सुषमा ने जब पहला लोकसभा चुनाव लड़ा था, तब भी मुकाबला वकील बनाम वकील था। अब जक बांसुरी लोकसभा चुनावलड़ रही हैं, तब भी वकील बनाम वकील ही है।