17 April यानी आज वर्ल्ड हीमोफीलिया डे मनाया जाता है। हीमोफीलिया डे मनाने का उद्देश्य इस बीमारी के प्रति लोगों को जागरूकता करना है। यह एक ऐसी बीमारी है जिसमें पीड़ित शख्स के अंदर चोट लगने पर खून का थक्का नहीं जम पाता। इस जानलेवा बीमारी में हल्की चोट लगने पर भी ज्यादा खून बहने लगता है। 1989 से हीमोफीलिया को लेकर जागरूकता फैलाने के लिए 17 अप्रैल को विश्व हीमोफीलिया डे मनाया जाता है। आइए जानते हैं क्या होती है हीमोफीलिया बीमारी, लक्षण और उपाय...
क्या है हीमोफीलिया?
आपने देखा होगा जब भी हमे या किसी व्यक्ति को चोट लगती है तो घाव से खून बहना शुरू हो जाता है। लेकिन कुछ देर बार ये खून अपने आप बहना बंद भी हो जाता है। ऐसा घाव के आसपास खून का थक्का जमने के कारण होता है।। लेकिन जब चोट लगने के बाद खून का थक्का नहीं जमें और खून बहता रहे तो इसे हीमोफीलिया कहते हैं। चोट लगने के बाद खून का लगातार बहना थाम्ब्रोप्लास्टिन या क्लॉटिंग फैक्टर की कमी की वजह से होता है।
लक्षण
- चोट लगने के बाद लगातार खून बहना
-हड्डियों के जोड़ों में दर्द बना रहना
- शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक सूजन होना
- शरीर में नीले निशान पड़ जाना
- नाक और मसूड़ों से खून आना
- आसानी से त्वचा का छिल जाना
- मल या पेशाब करते समय खून आना
बचाव
ध्यान दे की कहीं आपके दांतों और मसूड़ों से खून तो नहीं आ रहा है। अगर ऐसा है तो तुरंत डेंटिस्ट को दिखाएं। खाने पीने में विटामिन और मिनरल्स से युक्त खाना खाएं। खून पतला करने वाली दवाइयों से दूर रहें। प्रतिदिन एक्सरसाइज करें। ज्यादा गंभीर लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
ऐसे हुई शुरुआत
हर साल 17 अप्रैल को वर्ल्ड हीमोफीलिया दिवस मनाया जाता है। इसकी शुरूआत 1989 में वर्ल्ड फेडरेशन ऑफ हीमोफीलिया के संस्थापक फ्रैंक कैनबेल के जन्मदिन पर हुई थी।