पौष पूर्णिमा पर शुभारंभ
इस बार का आयोजन और भी खास है क्योंकि यह एक दुर्लभ खगोलीय संयोग पर आधारित है, जो हर 144 साल में एक बार आता है।
महाकुंभ मेला भारतीय संस्कृति और धर्म का प्रतीक है। यह हिंदू धर्म का सबसे बड़ा और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है।
महाकुंभ मेले की शुरुआत 'शाही स्नान' से होती है। इसमें अखाड़ों के साधु-संत अपनी परंपरागत वेशभूषा और ध्वज के साथ संगम पर स्नान करते हैं।
इतने बड़े आयोजन को सुचारू रूप से चलाने के लिए सुरक्षा और अन्य व्यवस्थाओं का खास ध्यान रखा गया है।
महाकुंभ मेले का इतिहास हजारों साल पुराना है। पुराणों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान देवताओं और असुरों के बीच अमृत के कुंभ को लेकर संघर्ष हुआ था।