नारी डेस्क: प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ से कई साधु संतों की तस्वीरें सामने आ रही है। इस दौरान कई महिला नागा साध्वी भी नजर आ रही हैं, जो अक्सर कुंभ मेला के स्नान या अन्य किसी ऐसे ही खास अवसरों पर ही देखी जाती हैं। इनकी रहस्यमयी जिन्दगी की वजह से अक्सर लोगों को इनके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं होती, लेकिन वह इसे लेकर उत्सुक जरूर रहते हैं। महिलाओं के लिए नागा साधु बनने की प्रक्रिया पुरुषों के समान ही कठिन होती है, लेकिन इसमें कुछ विशिष्ट नियम और चुनौतियां होती हैं।
10 से15 साल जीते हैं कठिन जीवन
नागा साधु बनने के लिए 10 से1 5 साल तक कठिन ब्रह्मचर्य जीवन का पालन करना होता है। इसके बाद उन्हें अपने गुरू को इस बात का यकीन दिलाना होता है कि अब उनका जीवन पूरी तरह से ईश्वर को समर्पित हो चुका है। इसके बाद ये खुद अपना जीते-जी पिंड दान करती हैं। इनका पूरा दिन ईश्वर की भक्ति में लीन होकर ही गुजरता है। अपना पिंड दान करने के बाद ही ये लोग साधु बनती हैं। नागा साधु बनने के दौरान महिलाओं को अपने सिर का मुंडन करवाना पड़ता है, जिसके बाद उन्हें पवित्र नदी में स्नान करवाकर पूरे विधि-विधान के साथ नागा साधु बनाया जाता है।
गृहस्थ जीवन का त्याग
नागा साधु बनने के लिए महिलाओं को गृहस्थ जीवन, परिवार, और भौतिक सुखों का पूर्ण त्याग करना पड़ता है। वे अपने सांसारिक जीवन के सभी संबंधों और सुख-सुविधाओं से दूर हो जाती हैं। उन्हें संन्यास व्रत का पालन करना होता है, जिसमें आजीवन ब्रह्मचर्य, सत्य, अहिंसा, और तपस्या का पालन शामिल है। उन्हें निरंतर ध्यान, योग, और कठिन साधनाओं का पालन करना पड़ता है। नागा साधु का एक प्रमुख नियम है अखंड नग्नता जिसका पालन करना अनिवार्य होता है। हालांकि, महिला नागा साधुओं के मामले में इस नियम में कुछ लचीलापन होता है और वे अपने शरीर को कपड़े या चादर से ढक सकती हैं।
कुंभ मेले में दीक्षा
नागा साधु बनने की प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा कुंभ मेला है, जहां उन्हें दीक्षा दी जाती है और वे अखाड़ा में शामिल होती हैं। यह दीक्षा प्रक्रिया एक विशेष धार्मिक अनुष्ठान के माध्यम से पूरी होती है। जब महिला नागा संन्यासिन पूरी तरह से बन जाती है तो अखाड़े के सभी साधु-संत उस महिला को माता कह कर बुलाते हैं।
नागा साधुओं के जीवन के नियम
नागा साधु भोजन और अन्य आवश्यकताओं के लिए भिक्षा पर निर्भर रहते हैं। उन्हें किसी प्रकार की धन-संपत्ति या भौतिक संपत्ति रखने की अनुमति नहीं होती। वे एक स्थान पर स्थायी रूप से नहीं रहते। नागा साधु हमेशा यात्रा करते रहते हैं और जंगलों, पहाड़ों, या नदी के किनारे पर निवास करते हैं। नागा साधु अपने गुरु के आदेशों का पालन करते हैं और पूरी तरह से अनुशासन में रहते हैं।
नागा साधुओं की कठिन जीवनशैली
नागा साधु चाहे ठंडी हो या गर्मी, हर मौसम में बिना कपड़ों के रहते हैं, जो उनकी जीवनशैली को और भी कठिन बनाता है। दिनभर कठोर ध्यान और साधना करना उनके जीवन का अनिवार्य हिस्सा है, जिसमें मानसिक और शारीरिक तपस्या शामिल है। वे सभी सांसारिक सुखों से पूरी तरह दूर रहते हैं और जीवन के हर पहलू में सादा और संयमित जीवन जीते हैं।यह जीवन उन्हें आध्यात्मिक उन्नति और मोक्ष की ओर अग्रसर करता है।