मलेरिया के खिलाफ लड़ाई में एक बड़ी सफलता मिलने जा रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दे दी है। यह वैक्सीन लाखों लोगों की जान बचाने में कारगर साबित हो सकती है। WHO ने इसे ऐतिहासिक दिन बताया है।
यह एक ऐतिहासिक पल: WHO
डब्ल्यूएचओ के डायरेक्टर जनरल टेड्रोस अधानोम ने कहा कि मलेरिया को रोकने के मौजूदा उपायों के साथ इस वैक्सीन के इस्तेमाल से हर साल हजारों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक पल है। घाना, केन्या और मलावी में 2019 से शुरू हुए पायलेट प्रोजेक्ट कार्यक्रम की समीक्षा करने के बाद WHO ने यह निर्णय लिया।
800,000 से अधिक बच्चों को लगाई गई वैक्सीन
डब्ल्यूएचओ की मानें तो पायलट कार्यक्रम की शुरुआत के बाद 800,000 से अधिक बच्चों को वैक्सीन लगाई गई। दवा है कि ये वैक्सीन छोटे बच्चों में मलेरिया संक्रमण के मामलों को लगभग 39 प्रतिशत और गंभीर मलेरिया के मामलों में 29 प्रतिशत तक रोक सकती है। 4 साल के लंबे इंतजार के बाद ये परिणाम सामने आए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार हर दो मिनट में एक बच्चे की मलेरिया से मौत होती है।
मलेरिया के लक्षण
- ठंड लगना
- तेज बुखार
- सिरदर्द
- गले में खराश
- पसीना आना
- थकान
- बैचेनी होना
- उल्टी आना
मलेरिया के खिलाफ कई टीके मौजूद
बता दें कि मलेरिया के वायरस और बैक्टीरिया के खिलाफ कई टीके मौजूद हैं लेकिन यह पहली बार हो रहा है, जब डब्ल्यूएचओ ने मलेरिया के खिलाफ व्यापक उपयोग के लिए एक टीके की सिफारिश की है। टेड्रोस का कहना है कि मलेरिया के खिलाफ पिछले दो दशक में दुनियाभर में काफी प्रगति हुई है, लेकिन अभी भी हर साल 20 करोड़ लोग इसकी चपेट में आते हैं और 4 लाख की मौत हो जाती है।