कोरोना वायरस और ब्लैक फंगस के साथ-साथ देश में व्हाइट फंगस (एस्परगिलोसिस) का खतरा भी बढ़ जा रहा है। एक्सपर्ट की मानें तो बच्चों व महिलाओं को इसका सबसे अधिक खतरा है जबकि ब्लैक फंगस की बीमारी हर किसी को अपनी चपेट में ले रही है।
क्या ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक व्हाइट फंगस?
व्हाइट फंगस को ब्लैक फंगस से ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है क्योंकि कोरोना की तरह यह भी फेफड़ों को संक्रमित करती है। इसके अलावा यह स्किन, नाखून, पेट, किडनी, प्राइवेट पार्ट्स, ब्रेन और मुंह में भी इंफेक्शन फैला सकता है। जबकि ब्लैक फंगस का ज्यादा असर आंखों पर हो रहा है। ब्लैक फंगस में सर्जरी की जरूरत पड़ जाती है लेकिन व्हाइट फंगस में मरीज दवाओं से ठीक हो रहे हैं।
महिलाओं व बच्चों को अधिक खतरा क्यों?
स्टडी के मुताबिक, यह बीमारी महिलाओं और बच्चों पर अधिक असर डाल रही है क्योंकि उनकी इम्यूनिटी कमजोर होती है। इसके अलावा डायबिटीज, कैंसर या लंबे समय तक स्टेरॉयड ले रहे लोगों में भी जोखिम अधिक होता है। ऑक्सीजन सपोर्ट वाले कोरोना मरीजों पर भी यह अधिक असर डालता है।
हो सकता है व्हाइट फंगस का निमोनिया
अगर कोई व्यक्ति निमोनिया से जूझ रहा है और उसकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आती है तो उसे व्हाइट फंगस का निमोनिया हो सकता है। इसके लक्षण काफी हद तक मिलते जुलते होते हैं। मगर, इसके लक्षण काफी हद तक मिलते जुलते हैं। अगर समय रहते बीमारी पहचान ली जाए तो उसका इलाज किया जा सकता है।
व्हाइट फंगस की कैसे करें पहचान?
व्हाइट फंगस की पहचान करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि इसमें कई बार रिपोर्ट नेगेटिव आती है। कई बार सीटी स्कैन पर कोरोना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं। इसके अलावा बलगम का कल्चर करवाने से व्हाइट फंगस की पहचान की जा सकती है।
व्हाइट फंगस से ऐसे करें बचाव
1. शरीर और अपने आस-पास साफ-सफाई का खास ख्याल रखें क्योंकि गंदगी में यह ज्यादा फैलता है।
2. बिना धुले फल, सब्जियां खाने से भी बचें। इसके अलावा इन्हें गर्म पानी में डिप करके रखें ताकि गंदगी आसानी से निकल जाए।
3. अधिक दिनों तक रेफ्रिजरेट में रखा हुआ भोजन करने से भी बचें।
4. रोजाना मास्क धोएं या बदलें।
5. ऑक्सीजन या वेंटिलेटर मरीजों के उपकरण जैसे ट्यूब आदि जीवाणु मुक्त हों।
6. ऑक्सीजन सिलेंडर ह्यूमिडिफायर के लिए स्ट्रेलाइज वॉटर का यूज करें।
7. बीमार व्यक्ति को ऑक्सीजन देते समय ध्यान रखना कि सिलेंडर विषाणुमुक्त हो।